Sunday, May 12, 2013

Funny Jokes in Hindi:


संता का आसान सवाल

संता: चल एक सवाल का जवाब दे.
बंता: पूछ
संता: गाय दूध देती है और  मुर्गी अंडा, पर ऐसा कौन है, जो दोनों देता है?
बंता: मुझे क्या पता?
संता: सिंपल है यार वो अपने पड़ोस में ही हैं ना दुकानदार अंकल.
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युद्ध की कहानी 


पुत्र: पिताजी, युद्ध कैसे शुरू होते हैं…??
पिता: मान लो अमेरिका और इंग्लैंड में किसी बात पर मतभेद हो गया…
मां: लेकिन अमेरिका और इंग्लैंड में मतभेद हो ही नहीं सकता…!!!
पिता: अरे भई, मैं तो सिर्फ उदाहरण दे रहा था…।
मां: मगर तुम गलत उदाहरण देकर बच्चे को बहका रहे हो…!!!
पिता: मैं नहीं बहका रहा हूं…
मां: यह बहकाना नहीं तो और क्या है??
पिता: तुम चुप रहो..! एक बार कह दिया न कि बहका नहीं रहा हूं.
मां: मैं क्यों चुप रहूं.! यह मेरे बच्चे की पढ़ाई का सवाल है…!!! आज ये बोल रहे हो कल को कुछ और गलत बोलोगे…
पुत्र: प्लीज…!!! आप लोग झगड़ा मत करिए….। मैं बहुत अच्छे से समझ गया कि युद्ध कैसे शुरू होते हैं…!!!
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जुबान के पैर 


बेटा (मां से): मां, क्या जुबान के पैर होते हैं?
मां (बेटा से): नहीं बेटा, जुबान के पैर नहीं होते.
बेटा (मां से): तो फिर पिताजी आपसे क्यों बोलते हैं कि तुम्हारी जुबान दिन भर चलती रहती है.
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लड़कियां सैंडल क्यों पहनती हैं


संता: लड़कियां जूते पहनने के बजाए सिर्फ चप्पल या सैंडिल पहनना ही क्यों पसन्द करती हैं?
बंता: ताकि मजनुओं की पिटाई का मौका आने पर वे तुरंत और आसानी से निकल कर हाथों में आ जाएं.




भगवान राम के लिए मीडिया सवाल


मान लीजिएं रामजी ने आज के युग में सीताजी को बचाने संघर्ष किया होता तो उनके साथ क्या होता? आज जहां एक अच्छे इंसान को भलाई के लिए सूली पर चढा देने का रिवाज है क्या वहां रामजी अपना कार्य पूरा कर पाते?

अगर रामजी ने कलयुग में रावण पर आक्रमण किए होते तो उनसे मीडिया किस तरह के सवाल करते:


  • आपने अपनी टीम के महत्वपूर्ण घटक श्री हनुमान को लंका में सीता की खोज करने तथा संदेश देने के उद्देश्य से भेजा था, परन्तु उन्होंने वहां जाकर आग लगा दी… क्या इससे यह साफ नहीं हो जाता कि आपकी टीम में अंदरूनी तौर पर वैचारिक मतभेद हैं…?
  • क्या श्री हनुमान के विरुद्ध अशोक वाटिका उजाड़ने के आरोप में वनविभाग द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए…?
  • आपके एक अन्य सहयोगी श्री सुग्रीव पर अपने भाई महाबली बालि का राज्य हड़पने का आरोप है… क्या आपने इसकी जांच करवाई…?
  • क्या यह सच नहीं है कि बालि का राज्य हड़पने की श्री सुग्रीव की साजिश के मास्टरमाइंड आप स्वयं हैं…?
  • आप 14 साल तक वनवास में रहे… क्या आप स्पष्ट रूप से बता सकेंगे कि आपको वहां अपने खर्चे चलाने के लिए फंड कहां से मिलते रहे…?
  • क्या आपने किसी स्वतंत्र एजेंसी से उस फंड का ऑडिट करवाया है…?
  • क्या आप बताएंगे कि आपने सिर्फ रावण पर हमला क्यों किया, जबकि अन्य अनेक देशों में भी राक्षस शासनारूढ़ थे… क्या यह लंका की सरकार को निजी कारणों से अस्थिर करने की साजिश नहीं थी…?
  • क्या यह सच नहीं है कि रावण को परेशान करने के मकसद से आपने उनके परिवार के निर्दोष लोगों, जैसे कुम्भकर्ण, पर हमला किया…?
  • क्या आपकी टीम के श्री हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी की जगह पूरा पहाड उखाड़ लेना सरकारी जमीन के साथ छेड़छाड़ नहीं… क्या आप इसे वन संपदा के साथ भी खिलवाड़ नहीं मानेंगे…?
  • क्या यह सच नहीं कि आपने रावण पर आक्रमण करने से पहले समुद्र पर लंका तक बनाए गए पुल का ठेका नल और नील को अपने करीबी होने के कारण दिया…?
  • बताया गया है कि आपने पुल बनाने के लिए छोटी-छोटी गिलहरियों से भी काम करवाया… क्या इसके लिए आपके विरुद्ध वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम तथा बालश्रम कानून के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए…?
  • आपने बिना किसी पद पर रहते हुए युद्ध के समय देवराज इन्द्र से राजकीय सहायताप्राप्त की और उनका रथ लेकर रावण पर हमला किया… क्या इससे आप इन्द्र की ‘टीम ए’ सिद्ध नहीं होते…?
  • क्या इस सहायता के बदले आपने इन्द्र से यह वादा नहीं किया कि अयोध्या का राजा बनने के बाद आप उन्हें अयोध्या के आसपास की जमीन दे देंगे…?
  • स्वर्ग की दूरी अयोध्या की तुलना में कई गुणा अधिक है, परन्तु युद्ध के दौरान आपने अयोध्या से रथ न मंगवाकर इन्द्र से रथ मंगवाया… क्या यह निर्णय इन्द्र की कंपनी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया…?
  • जाम्बवंत द्वारा युद्ध में आपको दी गई सहायता और परामर्श के बदले क्या आपने उन्हें राष्ट्रपति बनाने का वादा नहीं किया…?
  • क्या विभीषण को अपनी टीम में शामिल करके आपने दल-बदल कानून का सरासर उल्लंघन नहीं किया…?
  • और आखिरी सवाल, आपने भरत को राजा बनाया… क्या आपको अपनी नेतृत्व क्षमता पर संदेह था…?

Bollywood Jokes



Bhakt ka guzaris


Bhakt : Meri shadi Aishwarya se kara do.
Bhagwan : Uski ek saree 1 lac ki hai, tu kharcha kar payega.



Bhakt : Koi upay bhagvan
Bhagvan : Mallika Sherawat.

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Raabert had twins



Raabert: Boss, mere dono bachon ke liye koi naam bataiye..
Ajeet: Ek ka naam rakho Peter….
Raabert: boss or doosre ka ?
Ajeet: Repeater.

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What if doctors make flim?

Socho agar doctor film banate to title kya hota?
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1. Kabhi khansi kabhi jukam

2. kaho naa bukhar hai
3. TB no 1
4. Kal patient ho na ho
5. Hum blood de chuke sanam
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Thursday, May 9, 2013

पेशे की इज्जत


यह घटना उन दिनों की है जब फ्रांस में विद्रोही काफी उत्पात मचा रहे थे। सरकार अपने तरीकों से विद्रोहियों से निपटने में जुटी हुई थी। काफी हद तक सेना ने विद्रोह को कुचल दिया था , फिर भी कुछ शहरों में स्थिति खराब थी। इन्हीं में से एक शहर था लिथोस। लिथोस में विद्रोह पूर्णतया दबाया नहीं जा सका था , लिहाजा जनरल कास्तलेन जैसे कड़े अफसर को वहां नियंत्रण के लिए भेजा गया। कास्तलेन विद्रोहियों के साथ काफी सख्ती से पेश आते थे।

इसलिए विद्रोहियों के बीच उनका खौफ भी था और वे उनसे चिढ़ते भी थे। इन्हीं विद्रोहियों में एक नाई भी था , जो प्राय : कहता फिरता – जनरल मेरे सामने आ जाए तो मैं उस्तरे से उसका सफाया कर दूं। जब कास्तलेन ने यह बात सुनी तो वह अकेले ही एक दिन उसकी दुकान पर पहुंच गया और उसे अपनी हजामत बनाने के लिए कहा। वह नाई जनरल को पहचानता था। उसे अपनी दुकान पर देखकर वह बुरी तरह घबरा गया और कांपते हाथों से उस्तरा उठाकर जैसे – तैसे उसकी हजामत बनाई।

काम हो जाने के बाद जनरल कास्तलेन ने उसे पैसे दिए और कहा – मैंने तुम्हें अपना गला काटने का पूरा मौका दिया। तुम्हारे हाथ में उस्तरा था , मगर तुम उसका फायदा नहीं उठा सके। इस पर नाई ने कहा – ऐसा करके मैं अपने पेशे के साथ धोखा नहीं कर सकता था। मेरा उस्तरा किसी की हजामत बनाने के लिए है किसी की जान लेने के लिए नहीं। वैसे मैं आपसे निपट लूंगा जब आप हथियारबंद होंगे। लेकिन अभी आप मेरे ग्राहक हैं। कास्तलेन मुंह लटकाकर चला गया।

एक पेच कसने की कीमत


एक बार एक कारखाने के मालिक की मशीन ने काम करना बंद कर दिया. कई दिनों की मेहनत के बाद भी मशीन ठीक नहीं हो पायी. मालिक को रोज लाखों का नुकसान हो रहा था.

तभी वहाँ एक कारीगर पहुँचा और उसने दावा किया की वो मशीन को ठीक कर सकता है. मालिक  फौरन ही उसे कार्यशाला में ले गया. मशीन ठीक करने से पहले कारीगर ने मालिक से कहा कि वो मशीन तो ठीक कर देगा लेकिन मेहनताना अपनी मर्जी से तय करेगा. मालिक का तो रोज लाखों का नुकसान रोज हो रहा था इसलिये वो मान गया.

कारीगर ने पूरी मशीन का मुआयाना किया और एक पेच को कस दिया. मशीन को चालू किया गया. मशीन ने कार्य करना शुरू कर दिया था. मालिक बहुत खुश हु़आ. कारीगर ने दस हजार रूपया मेहनताना मांगा. मालिक को बहुत आश्चर्य हुआ. केवल एक पेच कसने के दस हजार रूपय! लेकिन उसने अपना वादा निभाया और दस हजार रूपय कारीगर को देते हुये पूछा कि एक पेच कसने के दस हजार रूपय कुछ ज्यादा नहीं हैं?
कारीगर ने तुरंत जवाब दिया – साहब पेच कसने का तो केवल मैंने एक रूपया लिया है बाकि 9999 रूपय तो कौन सा पेच कसना है यह पता करने के लिये हैं.

मालिक उसका जवाब सुनकर बहुत खुश हुआ और उसे अपने कारखाने में एक उच्चपद पर नौकरी पर रख लिया.

तीन सवाल – (अकबर-बीरबल)


महाराजा अकबर, बीरबल की हाज़िरजवाबी के बडे कायल थे. उनकी इस बात से दरबार के अन्य मंत्री मन ही मन बहुत जलते थे. उनमें से एक मंत्री, जो महामंत्री का पद पाने का लोभी था, ने मन ही मन एक योजना बनायी. उसे मालूम था कि जब तक बीरबल दरबार में मुख्य सलाहकार के रूप में है उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकती.
एक दिन दरबार में अकबर ने बीरबल की हाज़िरजवाबी की बहुत प्रशंसा की. यह सब सुनकर उस मंत्री को बहुत गुस्सा आया. उसने महाराज से कहा कि यदि बीरबल मेरे तीन सवालों का उत्तर सही-सही दे देता है तो मैं उसकी बुद्धिमता को स्वीकार कर लुंगा और यदि नहीं तो इससे यह सिद्ध होता है की वह महाराज का चापलूस है. अकबर को मालूम था कि बीरबल उसके सवालों का जवाब जरूर दे देगा इसलिये उन्होंने उस मंत्री की बात स्वीकार कर ली.
उस मंत्री के तीन सवाल थे -
१. आकाश में कितने तारे हैं.
२. धरती का केन्द्र कहाँ है.
३. सारे संसार में कितने स्त्री और कितने पुरूष हैं.

अकबर ने फौरन बीरबल से इन सवालों के जवाब देने के लिये कहा. और शर्त रखी कि यदि वह इनका उत्तर नहीं जानता है तो मुख्य सलाहकार का पद छोडने के लिये तैयार रहे.
बीरबल ने कहा, “तो सुनिये महाराज”.
पहला सवाल – बीरबल ने एक भेड मँगवायी. और कहा जितने बाल इस भेड के शरीर पर हैं आकाश में उतने ही तारे हैं. मेरे दोस्त, गिनकर तस्सली कर लो, बीरबल ने मंत्री की तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
दूसरा सवाल – बीरबल ने ज़मीन पर कुछ लकीरें खिंची और कुछ हिसाब लगाया. फिर एक लोहे की छड मँगवायी गयी और उसे एक जगह गाड दिया और बीरबल ने महाराज से कहा, “महाराज बिल्कुल इसी जगह धरती का केन्द्र है, चाहे तो आप स्व्यं जाँच लें”. महाराज बोले ठीक है अब तीसरे सवाल के बारे में कहो.
अब महाराज तीसरे सवाल का जवाब बडा मुश्किल है. क्योंकि इस दुनीया में कुछ लोग ऐसे हैं जो ना तो स्त्री की श्रेणी में आते हैं और ना ही पुरूषों की श्रेणी. उनमें से कुछ लोग तो हमारे दरबार में भी उपस्थित हैं जैसे कि ये मंत्री जी. महाराज यदि आप इनको मौत के घाट उतरवा दें तो मैं स्त्री-पुरूष की सही सही संख्या बता सकता हूँ. अब मंत्री जी सवालों का जवाब छोडकर थर-थर काँपने लगे और महाराज से बोले,”महाराज बस-बस मुझे मेरे सवालों का जवाब मिल गया. मैं बीरबल की बुद्धिमानी को मान गया हूँ”.
महाराज हमेशा की तरह बीरबल की तरफ पीठ करके हँसने लगे और इसी बीच वह मंत्री दरबार से खिसक लिया.

Tuesday, May 7, 2013

Best True Funny Hindi Storie For Ship


एक पढ़ा-लिखा दंभी व्यक्ति नाव में
सवार हुआ। वह घमंड से भरकर नाविक
से पूछने लगा, ‘‘क्या तुमने व्याकरण
पढ़ा है, नाविक?’’
नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’
दंभी व्यक्ति ने कहा, ‘‘अफसोस है
कि तुमने अपनी आधी उम्र
यों ही गँवा दी!’’
थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा,
“तुमने इतिहास व भूगोल पढ़ा?”
नाविक ने फिर सिर हिलाते हुए ‘नहीं’
कहा।
दंभी ने कहा, “फिर
तो तुम्हारा पूरा जीवन ही बेकार गया।“
मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस
समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से
वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में
डाल दिया।
नाविक ने ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से
पूछा, ‘‘महाराज,
आपको तैरना भी आता है कि नहीं?’’
सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे
तैरना नही आता।’’
“फिर तो आपको अपने इतिहास, भूगोल
को सहायता के लिए
बुलाना होगा वरना आपकी सारी उम्र
बरबाद होने वाली है क्योंकि नाव अब
भंवर में डूबने वाली है।’’ यह कहकर
नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे
की ओर बढ़ गया।
अतः मनुष्य को किसी एक
विद्या या कला में दक्ष हो जाने पर
गर्व नहीं करना चाहिए।


Good Funny hindi jokes


रस्म शादी के मौके पर जब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरने लगा तो एक बोला – यार, यह रस्म उल्टी होनी चाहिए। यानी दुल्हन दूल्हे की मांग में सिन्दूर भरे।
दूसरा बोला- अगर ऐसा हुआ तो दुनिया के तमाम गंजे कुंवारे ही रह जाएंगे।

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पत्नी (पति से) – तुम मुझसे कितना प्यार करते हो?
पति (पत्नी से)- जितना शाहजहां मुमताज से करता था।
पत्नी – तो क्या तुम मेरे लिए ताजमहल भी बनवाओगे?
पति – बिलकुल! मैंने तो जगह भी देख रखी है। बस तुम्हारे मरने का इन्तजार कर रहा हूं !!!

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एक आदमी कैंसर से पीडि़त था।
एक दिन उसके बेटे ने पूछा- पापा, आपको कैंसर है फिर भी आप लोगों से यह क्यों कहते फिरते हैं कि आपको एड्स है?
पिता ने जवाब दिया- ताकि मेरे मरने के बाद कोई तुम्हारी मम्मी को छूने की हिम्मत न कर सके

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संता- अगर कोई आदमी मर रहा हो तो उसके मुंह में क्या देना चाहिए?
बंता- बिरला प्लस सीमेंट।
संता- क्यों?
बंता- क्योंकि इसमें जान है!!! 

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संता, बंता और जंता एक मोटर साइकिल पर कही जा रहे थे, रास्ते में पुलिस ने रोका।
पुलिसवाला – क्या आपको पता नहीं है कि मोटर साइकिल पर 3 की सवारी पर पाबंदी है ?
संता- पता है, इसीलिए तो 1 को वापस छोड़ने जा रहे हैं!!!

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Thursday, May 2, 2013

Budha Budhi Ki Kahani

“Budha Budhi Ki Kahani
.
1 budha aya
7 me 1 budhiya laya
.
Hotel me ja k waiter ko bulaya
Dono ne apna-apna order mangaya
.
Pehle budhe ne khaya
budhiya ne pankha hilaya
.
Fir budhiya ne khaya
budhe ne pankha hilaya
.
Ye dekh k Waiter sharmaya or usne farmaya
.
Ae Laila Majnu k Maa Baap
Tum dono me itna pyar hy to khana 1 sath Q nhi khaya
.
Is pr budhe ne farmaya
‘Jaani’ tera sawal to nek hy
.
Par hamare pas Daanto ka set sirf ek hy!

Akbar Birbal kahani


ईश्वर अच्छा ही करता है

बीरबल एक ईमानदार तथा धर्म-प्रिय व्यक्ति था। वह प्रतिदिन ईश्वर की आराधना बिना नागा किया करता था। इससे उसे नैतिक व मानसिक बल प्राप्त होता था। वह अक्सर कहा करता था कि ‘ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है। कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपादृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं। कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सकें।’

एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं। एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला, ‘‘देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया-कल-शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है ?’’
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल, ‘‘मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।’’

सुनकर वह दरबारी नाराज हो गया कि मेरी तो उंगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ रही है। मेरी पीड़ा तो जैसे कुछ भी नहीं। कुछ अन्य दरबारियों ने भी उसके सुर में सुर मिलाया।
तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए बादशाह अकबर बोले, ‘‘बीरबल हम भी अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, लेकिन यहां तुम्हारी बात से सहमत नहीं। इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए।’’
बीरबल मुस्कराता हुआ बोला, ’’ठीक है जहांपनाह, समय ही बताएगा अब।’’

तीन महीने बीत चुके थे। वह दरबारी, जिसकी उंगली कट गई थी, घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था। एक हिरन का पीछा करते वह भटककर आदिवासियों के हाथों में जा पड़ा। वे आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे। अतः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए, बलि चढ़ाने के लिए। लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो हाथ की एक उंगली कम पाई।
‘‘नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।’’ मंदिर का पुजारी बोला, ‘‘यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाय प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा।’’
और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया।

अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा।
तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
‘‘तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो ?’’ अकबर ने सवाल किया।
जवाब में उस दरबारी ने अपनी आपबीती विस्तार से कह सुनाई। वह बोला, ‘‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है, मनुष्य के भले के लिए ही करता है। यदि मेरी उंगली न कटी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते। इसीलिए मैं रो रहा हूं, लेकिन ये आंसू खुशी के हैं। मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिन्दा हूं। बीरबल के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी भूल थी।’’
अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।

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छोटा बांस, बड़ा बांस

एक दिन अकबर व बीरबल बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल लतीफा सुना रहा था और अकबर उसका मजा ले रहे थे। तभी अकबर को नीचे घास पर पड़ा बांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया। उन्हें बीरबल की परीक्षा लेने की सूझी।
बीरबल को बांस का टुकड़ा दिखाते हुए वह बोले, ‘‘क्या तुम इस बांस के टुकड़े को बिना काटे छोटा कर सकते हो ?’’
बीरबल लतीफा सुनाता-सुनाता रुक गया और अकबर की आंखों में झांका।
अकबर कुटिलता से मुस्कराए, बीरबल समझ गया कि बादशाह सलामत उससे मजाक करने के मूड में हैं।
अब जैसा बेसिर-पैर का सवाल था तो जवाब भी कुछ वैसा ही होना चाहिए था।
बीरबल ने इधर-उधर देखा, एक माली हाथ में लंबा बांस लेकर जा रहा था।
उसके पास जाकर बीरबल ने वह बांस अपने दाएं हाथ में ले लिया और बादशाह का दिया छोटा बांस का टुकड़ा बाएं हाथ में।
बीरबल बोला, ‘‘हुजूर, अब देखें इस टुकड़े को, हो गया न बिना काटे ही छोटा।’’
बड़े बांस के सामने वह टुकड़ा छोटा तो दिखना ही था।
निरुत्तर बादशाह अकबर मुस्करा उठे बीरबल की चतुराई देखकर।

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रेत से चीनी अलग करो

बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थी, तभी एक दरबारी हाथ में शीशे का एक मर्तबान लिए वहां आया।
‘‘क्या है इस मर्तबान में ?’’ पूछा बादशाह ने।
वह बोला, ‘‘इसमें रेत और चीनी का मिश्रण है।’’
‘‘वह किसलिए ?’’ फिर पूछा अकबर ने।
‘‘माफी चाहता हूँ हुजूर,’’ दरबारी बोला, ‘‘हम बीरबल की काबलियत को परखना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि वह रेत से चीनी का दाना-दाना अलग कर दे।’’
बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए, ‘‘देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है।’’ वह मुस्कराए और आगे बोले, ‘‘तुम्हें बिना पानी में घोले इस रेत में से चीनी को अलग करना है।’’
‘‘कोई समस्या नहीं जहांपना,’’ बोला बीरबल, ‘‘यह तो मेरे बाएं हाथ का काम है।’’ कहकर बीरबल ने वह मर्तबान उठाया और चल दिया दरबार से बाहर। बाकी दरबारी भी पीछे थे। बीरबल बाग में पहुंचकर रुका और मर्तबान से भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारों ओर बिखेर दिया।
‘‘यह तुम क्या कर रहे हो ?’’ एक दरबारी ने पूछा।
बीरबल बोला, ‘‘यह तुम्हें कल पता चलेगा।’’
अगले दिन फिर वे सभी उस आम के पेड़ के निकट जा पहुंचे। वहां अब केवल रेत पड़ी थी, चीनी के सारे दाने चीटियां बटोर कर अपने बिलों में पहुंचा चुकी थीं। कुछ चीटियां तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखाई दे रही थीं।
‘‘लेकिन सारी चीनी कहां चली गई ?’’ पूछा एक दरबारी ने।
‘‘रेत से अलग हो गई।’’ बीरबल ने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा। सभी जोरों से हंस पड़े।
बादशाह अकबर को जब बीरबल की चतुराई ज्ञात हुई तो बोले, ‘‘अब तुम्हें चीनी ढूंढ़नी है तो चीटियों के बिल में घुसना होगा।’’
सभी दरबारियों ने जोरदार ठहाका लगाया और बीरबल का गुणगान करने लगे।

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बीरबल कहां मिलेगा

एक दिन बीरबल बाग में टहलते हुए सुबह की ताजा हवा का आनंद ले रहा था कि अचानक एक आदमी उसके पास आकर बोला, ‘‘क्या तुम मुझे बता सकते हो कि बीरबल कहां मिलेगा ?’’
‘‘बाग में।’’ बीरबल बोला।
वह आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन फिर संभलकर बोला, ‘‘वह कहां रहता है ?’’
‘‘अपने घर में।’’ बीरबल ने उत्तर दिया।
हैरान-परेशान आदमी ने फिर पूछा, ‘‘तुम मुझे उसका पूरा पता ठिकाना क्यों नहीं बता देते ?’’
‘‘क्योंकि तुमने पूछा ही नहीं।’’ बीरबल ने ऊंचे स्वर में कहा।
‘‘क्या तुम नहीं जानते कि मैं क्या पूछना चाहता हूं ?’’ उस आदमी ने फिर सवाल किया।
‘‘नहीं।’ बीरबल का जवाब था।
वह आदमी कुछ देर के लिए चुप हो गया, बीरबल का टहलना जारी था। उस आदमी ने सोचा कि मुझे इससे यह पूछना चाहिए कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ? वह फिर बीरबल के पास जा पहुंचा, बोला, ‘‘बस, मुझे केवल इतना बता दो कि क्या तुम बीरबल को जानते हो ?’’
‘‘हां, मैं जानता हूं।’’ जवाब मिला।
‘‘तुम्हारा क्या नाम है ?’’ आदमी ने पूछा।
‘‘बीरबल।’’ बीरबल ने उत्तर दिया।
अब वह आदमी भौचक्का रह गया। वह बीरबल से इतनी देर से बीरबल का पता पूछ रहा था और बीरबल था कि बताने को तैयार नहीं हुआ कि वही बीरबल है। उसके लिए यह बेहद आश्चर्य की बात थी।
‘‘तुम भी क्या आदमी हो...’’ कहता हुआ वह कुछ नाराज सा लग रहा था, ‘‘मैं तुमसे तुम्हारे ही बारे में पूछ रहा था और तुम न जाने क्या-क्या ऊटपटांग बता रहे थे। बताओ, तुमने ऐसा क्यों किया ?’’
‘‘मैंने तुम्हारे सवालों का सीधा-सीधा जवाब दिया था, बस !’’
अंततः वह आदमी भी बीरबल की बुद्धि की तीक्ष्णता देख मुस्कराए बिना न रह सका।

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बादशाह का सपना

एक रात सोते समय बादशाह अकबर ने यह अजीब सपना देखा कि केवल एक छोड़कर उनके बाकी सभी दांत गिर गए हैं।
फिर अगले दिन उन्होंने देश भर के विख्यात ज्योतिषियों व नुजूमियों को बुला भेजा और और उन्हें अपने सपने के बारे में बताकर उसका मतलब जानना चाहा।
सभी ने आपस में विचार-विमर्श किया और एक मत होकर बादशाह से कहा, ‘‘जहांपनाह, इसका अर्थ यह है कि आपके सारे नाते-रिश्तेदार आपसे पहले ही मर जाएंगे।’’
यह सुनकर अकबर को बेहद क्रोध हो आया और उन्होंने सभी ज्योतिषियों को दरबार से चले जाने को कहा। उनके जाने के बाद बादशाह ने बीरबल से अपने सपने का मतलब बताने को कहा।
कुछ देर तक तो बीरबल सोच में डूबा रहा, फिर बोला, ‘‘हुजूर, आपके सपने का मतलब तो बहुत ही शुभ है। इसका अर्थ है कि अपने नाते-रिश्तेदारों के बीच आप ही सबसे अधिक समय तक जीवित रहेंगे।’’
बीरबल की बात सुनकर बादशाह बेहद प्रसन्न हुए। बीरबल ने भी वही कहा था जो ज्योतिषियों ने, लेकिन कहने में अंतर था। बादशाह ने बीरबल को ईनाम देकर विदा किया।

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कवि और धनवान आदमी

एक दिन एक कवि किसी धनी आदमी से मिलने गया और उसे कई सुंदर कविताएं इस उम्मीद के साथ सुनाईं कि शायद वह धनवान खुश होकर कुछ ईनाम जरूर देगा। लेकिन वह धनवान भी महाकंजूस था, बोला, ‘‘तुम्हारी कविताएं सुनकर दिल खुश हो गया। तुम कल फिर आना, मैं तुम्हें खुश कर दूंगा।’’
‘कल शायद अच्छा ईनाम मिलेगा।’ ऐसी कल्पना करता हुआ वह कवि घर पहुंचा और सो गया। अगले दिन वह फिर उस धनवान की हवेली में जा पहुंचा। धनवान बोला, ‘‘सुनो कवि महाशय, जैसे तुमने मुझे अपनी कविताएं सुनाकर खुश किया था, उसी तरह मैं भी तुमको बुलाकर खुश हूं। तुमने मुझे कल कुछ भी नहीं दिया, इसलिए मैं भी कुछ नहीं दे रहा, हिसाब बराबर हो गया।’’

कवि बेहद निराश हो गया। उसने अपनी आप बीती एक मित्र को कह सुनाई और उस मित्र ने बीरबल को बता दिया। सुनकर बीरबल बोला, ‘‘अब जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम उस धनवान से मित्रता करके उसे खाने पर अपने घर बुलाओ। हां, अपने कवि मित्र को भी बुलाना मत भूलना। मैं तो खैर वहां मैंजूद रहूंगा ही।’’
कुछ दिनों बाद बीरबल की योजनानुसार कवि के मित्र के घर दोपहर को भोज का कार्यक्रम तय हो गया। नियत समय पर वह धनवान भी आ पहुंचा। उस समय बीरबल, कवि और कुछ अन्य मित्र बातचीत में मशगूल थे। समय गुजरता जा रहा था लेकिन खाने-पीने का कहीं कोई नामोनिशान न था। वे लोग पहले की तरह बातचीत में व्यस्त थे। धनवान की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, जब उससे रहा न गया तो बोल ही पड़ा, ‘‘भोजन का समय तो कब का हो चुका ? क्या हम यहां खाने पर नहीं आए हैं ?’’
‘‘खाना, कैसा खाना ?’’ बीरबल ने पूछा।
धनवान को अब गुस्सा आ गया, ‘‘क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या तुमने मुझे यहां खाने पर नहीं बुलाया है ?’’
‘‘खाने का कोई निमंत्रण नहीं था। यह तो आपको खुश करने के लिए खाने पर आने को कहा गया था।’’ जवाब बीरबल ने दिया।

धनवान का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, क्रोधित स्वर में बोला, ‘‘यह सब क्या है? इस तरह किसी इज्जतदार आदमी को बेइज्जत करना ठीक है क्या ? तुमने मुझसे धोखा किया है।’’
अब बीरबल हंसता हुआ बोला, ‘‘यदि मैं कहूं कि इसमें कुछ भी गलत नहीं तो...। तुमने इस कवि से यही कहकर धोखा किया था ना कि कल आना, सो मैंने भी कुछ ऐसा ही किया। तुम जैसे लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।’’
धनवान को अब अपनी गलती का आभास हुआ और उसने कवि को अच्छा ईनाम देकर वहां से विदा ली।
वहां मौजूद सभी बीरबल को प्रशंसाभरी नजरों से देखने लगे।