Tuesday, March 26, 2013

Charlie Chaplin Quotes in Hindi



     
Name Sir Charles Spencer “Charlie” Chaplin / चार्ली चैपलिन
Born 16 April 1889
Walworth, London, England, United Kingdom
Died 25 December 1977 (aged 88)
Vevey, Switzerland
Nationality British
Profession Actor, Comedian, Director
Achievement Chaplin was one of the most creative and influential personalities of the silent-film era.  Most famous film star in the world before the end of World War I. In 1975, he was knighted a Knight Commander of the Order of the British Empire (KBE) by Queen Elizabeth II.


 चार्ली चैपलिन उद्धरण

हंसी के बिना बिताया हुआ दिन बर्वाद किया हुआ दिन है .
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 सबसे दुखद चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकत हूँ वो है विलासिता का आदी होना .
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 हम सोचते बहुत हैं और महसूस बहुत कम करते हैं .
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किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है
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ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है , लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी
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 इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है , यहाँ तक की हमारी परेशानिया भी नहीं .
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एक आवारा, एक सज्जन, एक कवि, एक सपने देखने वाला , एक अकेला आदमी, हमेशा रोमांस और रोमांच की उम्मीद करते है.
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असफलता महत्त्वहीन है . अपना मजाक बनाने के लिए हिम्मत चाहिए होती है .
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सच में हंसने के लिए आपको अपनी पीड़ा के साथ खेलने में सक्षम होना चाहिए .
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मैं ईश्वर के साथ शांति से हूँ . मेरा टकराव इंसानों के साथ है .
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मैं ऐसी सुन्दरता के साथ धैर्यपूर्वक नहीं रह सकता जिसे समझने के लिए किसी को व्याख्या करनी पड़े .
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मैंने सोचा कि मैं बैगी पैंट, बड़े जूते, एक छड़ी और एक डर्बी टोपी पहन कर तैयार होऊंगा . सब कुछ उल्टा :पैंट  बैगी , कोट तंग, छोटी टोपी और बड़े जूते.
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हास्य  टॉनिक है , राहत है , दर्द रोकने वाला है .
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इंसानों की नफरत ख़तम हो जाएगी , तानाशाह मर जायेंगे, और जो शक्ति उन्होंने लोगों से छीनी वो लोगों के पास वापस चली जायेगी . और जब तक लोग मरते रहेंगे , स्वतंत्रता कभी ख़त्म नहीं होगी .
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ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें .
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शब्द सस्ते होते हैं . सबसे बड़ी चीज जो आप कह सकते हैं वो है ‘हाथी ‘.
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मुझे लगता है कि सही समय पर गलत काम करना जीवन की विडंबनाओं में से एक है.
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ज़रूरतमंद दोस्त की मदद करना आसान है , लेकिन उसे अपना समय देना हमेशा संभव नहीं हो पाता .
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 भूरे बालों वाली औरतें मुश्किलें पैदा करती हैं . वे यहूदियों से भी बदतर होती हैं .
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एक कॉमेडी फिल्म बनाने के लिए मुझे बस एक पार्क , एक पुलिसकर्मी और एक सुन्दर लड़की की ज़रुरत होती है .
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 मैं पैसों के लिए बिजनेस में गया, और वहीँ से कला पैदा हुई . यदि इस टिपण्णी से लोगों का मोह भंग होता है तो मैं कुछ नहीं कर सकता . यही सच है .
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अब मेरे लिए अमेरिका का कोई उपयोग नहीं है . यदि यीशु मसीह भी वहां के राष्ट्रपति बन जाएं तो भी मैं वहां वापस नहीं जाऊंगा .
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आप किसका मतलब जानना चाहते हैं ? ज़िन्दगी इच्छा है , मतलब नहीं .
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तानाशाह खुद को आज़ाद कर लेते हैं, लेकिन लोगों को गुलाम बना देते हैं .
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ये बेरहम दुनिया है और इसका सामना करने के लिए तुम्हे भी बेरहम होना होगा .
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अभिनेता ठुकराए जाने की तालाश करते हैं। यदि उन्हें ये नहीं मिलता तो वे खुद को ठुकरा देते हैं .
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मैं लोगों के लिए हूँ . इसका मैं कुछ नहीं कर सकता .
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मैं  यकीन नहीं करता कि जनता जानती है कि  उसे क्या चाहिए; मैंने अपने करीयर से यही निष्कर्ष निकाला है .....................................................................................................................................................
मैं  एक गरीब राजा की तुलना में जल्द ही एक सफल धूर्त कहलाना चाहूँगा .
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याद रखिये , आप हमेशा झपट सकते हैं वो भी बिना कुछ उठाये  
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सिनेमा सनक है . दर्शक वास्तव  में स्टेज पर जीवंत अभिनेताओं को देखना चाहते हैं .
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Monday, March 25, 2013

Mast Jokes


Eklote Rah Jane Ki Wajah

Akbar Aur Birbal Aapas Mein Apne Bachpan Ki Baatein Kar Rahe The To Akbar Bola.
Akbar: “Hamare Ammi-Abba Humse Itni Mohabbat Karte Thhe, Ke Humein Sulane Ke Liye Sari-Sari Raat Jagte Rehte, Aur Hum Phir Bhi Na Sote The
Birbal Haste Hue Bola: “Tabhi To Aap Eklote Reh Gaye, Huzoor

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Company Ki Suecess Ka Secret Reason

Bahut Badi Company Ka Assistant Ek Din Apne Boss Se Puchhta Hai.
Assistant: “Sir, Aap Office Mein Shadi-Shuda Aadmiyon Ko Hi Kyu Rakhte Ho?
Boss: “Kyunki Unhe Beizzati Sehne Ki Aadat Hoti Hai Aur Ghar Jane Ki Jaldi Bhi Nahi Hoti.

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Paper Mein Paas Hone Ka Mast Idea By Pappu

10th Calss Ke Exams Chal Rahe The,
Paper Bhi Hard Tha Aur Examiner Bhi Bahut Hi Strict Tha.
Cheating Karne Ka Koi Bhi Moka Nahi De Raha Tha, Bar-Bar Round Pe Round Laga Raha Tha.
Achanak Pappu Ne Ek Chit Likh Kar Examiner Ko Di.
Examiner Chup-Chap Ja Ke Apni Chair Pe Beth Gaya, Aur Exam Ke End Tak Utha Hi Nahi.
Exam Khatam Hote Hi Sari Class Pappu Ke Paas Aa Gayi Aur Puchha: “Abe Kamal Kar Diya, Tune Esa Chit Pe Kya Likha Tha?
Papu Haste Hue Bola: “Bas Yahi Ki Sir, Pichhe Se Aapki Pant Phati Hui Hai

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Santa Bhi Top Ka Singer Hai

Santa Ke Shehar Mein Ghazal Concert Chal Raha Thha, Aur Apna Santa Bhi Usmein Shaamil Tha.
Gayak Ga Raha Hota Hai: “Ye Daulat Bhi Lelo, Ye Shohrat Bhi Lelo…..
Achanak Se Santa Khada Hokar Sur Mein Gaane Laga: “Main To Bahut Pareshan Hoon, Meri To Aurat Bhi Lelo – Aurat Bhi Lelo

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Engineer Sahab Ka Ghar Kaun Sa Hai?

1970 Ka Bhi Ek Zamana Tha Jab Log Puchha Karte The.
Engineer Sahab Ka Ghar Kaun Sa Hai?
Jawab Milta Tha
Wo Jo Bada Bangla Hai, Wahi Rahte Hai
Aur Ek Ye 2013 Hai Jab Log Puchte Hai
Excuse Me, Yahaan Engineer Ka Ghar Kaun Sa Hai?
Aur Jawab Milta Hai
Abey, Kisi Bhi Ghar Mein Ghus Ja, Ek Na Ek To Mil Hi Jayega




Monday, March 18, 2013

Hindi Kahaniyan

मेहमान की आवभगत

 

एक किसान था भोला-भाला, सीधा-सादा। उसे घर में मेहमानों की आवभगत करने में बड़ा मजा आता। उसकी बीवी इस आदत से बड़ी परेशान थी। एक दिन फिर वह मेहमान को लेकर आया। बीवी को सूझी चालाकी। उसने चतुराई से किसान को हाथ-पैर धोने भेजा और बैठ गई मेहमान के पास।

कहने लगी- 'क्या करूं, इनका तो दिमाग खराब है। किसी को भी पकड़ लाते हैं और फिर उसे मूसल से मारते हैं।'

मेहमान घबराकर अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर भागा। इतने में किसान अंदर से आया। मेहमान को जाता देख पत्नी से पूछा- 'वो कहां जा रहे हैं?'

वह बोली- 'अरे... कुछ नहीं सासू मां की आखिरी निशानी मूसल मांग रहे थे।' मैंने मना कर दिया तो नाराज होकर जाने लगे।

किसान चिल्लाया- 'कैसी औरत है? मूसल बड़ी या पावणे। ठहर जा, मैं उन्हें मूसल देकर आता हूं।'

किसान मूसल लेकर दौड़ा और मेहमान उसे देखकर और तेजी से दौड़ने लगा।

ये सोचते हुए कि औरत सही कहती थी। किसान सच में पागल है।

उधर किसान की बीवी हंस-हंस कर बेहाल हो गई।

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कहानी : बीरबल की चतुराई



बहुत पुराने समय की कहानी है। एक बार अकबर बादशाह का दरबार लगा था। दरबार में सारे दरबारी, पंडित, मंत्री और सामान्यजन भी बैठे हुए थे। उस समय दरबार में हंसी-ठिठोली का माहौल छाया हुआ था। सब उसी में मशगूल थे। अकबर भी बहुत खुश नजर आ रहे थे।

लेकिन एक बात थी जो अकबर को हमेशा ही खटकती रहती थी, वह यह कि राजदरबार के सभी दरबारी बीरबल के फैसले से बहुत जलते थे। बीरबल के आगे उनके फैसले की एक न चलती थी।

इसलिए उन्हें बीरबल से बहुत ईर्ष्या थी, लेकिन वह बीरबल के सामने बोलने की हिम्मत जुटा नहीं पाते थे। बीरबल की दरबार में अनुपस्थिति होने पर अकबर हमेशा बीरबल की प्रशंसा के पुल बांधते रहते थे।

जब बीरबल दरबार में अनुपस्थित रहता था तब दरबारी बीरबल के प्रति द्वेष का भाव रखकर अकबर बादशाह को भड़काने का काम करते रहते थे। लेकिन अकबर को बीरबल की चतुराई पर बहुत भरोसा था। दरबार में चल रही हंसी-ठिठोली के बीच अकबर ने दरबारियों की परीक्षा लेने का मन ही मन विचार बनाया। 

उन्होंने सभी दरबारियों से शांत होने को कहा, और बोले- 'ध्यान से सुनो, तुम सभी को मेरे एक सवाल का जवाब देना है। जो इस सवाल का जवाब सही देगा और उसे साबित कर दिखाएगा उसे मैं बीरबल की जगह अपना मंत्री नियुक्त कर दूंगा।'

अकबर ने कहा- 'देखो तुम सबके लिए बहुत बढ़िया अवसर हाथ आया है। इससे तुम अपने मन के सभी अरमान पूरे कर सकते हो।'

यह सुनकर सभी दरबारी बहुत खुश हुए। अकबर ने फिर अपना सवालिया बाण छोड़ा और कहा, 'देखो, तुम्हें यह साबित करना है कि मनुष्य द्वारा निर्मित चीज ज्यादा अच्छी होती है या कुदरत के द्वारा निर्मित।'

अकबर के मुंह से सवाल सुनते ही सभी दरबारी सोच में पड़ गए। अकबर ने उन्हें पूरे एक हफ्ते का समय दिया और कहा अगले शुक्रवार को जब दरबार लगेगा तो तुम्हें खुद को सबसे श्रेष्ठ साबित करना है। सब दरबारी अपने-अपने घर को हो लिए। सभी इसी सोच में डूबे थे कि इसबात को कैसे साबित किया जाए। लेकिन किसी में इतनी चतुराई भी तो नहीं थी जितनी कि बीरबल में।

सारे दरबारियों में से किसी को भी इस सवाल का हल नहीं मिल पाया। तय समय के अनुसार फिर शुक्रवार के दिन राजदरबार लगा। सभी लोग अपने-अपने आसन पर विराजमान हो गए। हालांकि बीरबल सबसे पहले पहुंच गए थे।

अब राजा ने एक-एक कर सभी से सवाल का जवाब मांगा, पर सभी दरबारी, मंत्री, पंडित अपनी गर्दन झुकाकर खड़े हो गए।

अब अकबर से रहा न गया। उन्होंने बीरबल से पूछा। बीरबल ने बड़ा ही चतुराई भरा जवाब दिया, 'जहांपनाह! इसमें कौन-सी बड़ी बात है। इसका जवाब बहुत ही आसान है। अभी लीजिए' कह कर वह अपने कुर्सी से उठकर बाहर चले गए।

यह देख दरबारियों में खुसर-फुसर शुरू हो गई। एक कहने लगा- 'अरे यह क्या? बीरबल तो अकबर को जवाब देने के बजाय दरबार से उठकर बाहर चले गए।' अकबर आराम से अपने सिंहासन पर विराजमान हो गए और बीरबल की प्रतीक्षा करने लगे। 

तभी एक कारागीर हाथों में पत्थरों से निर्मित एक फूलों का बड़ा-सा गुलदस्ता लेकर आया और राजा को गुलदस्ता देकर जाने लगा। राजा ने गुलदस्ता हाथ में लिया और उसकी सुंदरता देखकर गुलदस्ते की बहुत तारीफ की। और अपने खजाने के मंत्री को आदेश दिया कि 'इस कारीगर को एक हजार स्वर्ण मुद्राएं इनाम के तौर पर दी जाएं।'

इनाम लेकर कारीगर खुशी-खुशी बाहर चला गया तभी अकबर के बगीचे का माली आया और एक बड़ा-सा गुलदस्ता को राजा को भेंट किया। इतना सुंदर गुलदस्ता देखकर राजा उसकी भी तारीफ किए बिना न रह सका। अकबर ने फिर अपने मंत्री को आदेश दिया और कहा- 'माली को सौ चांदी की मुद्राएं इनाम के तौर पर दी जाए।'

बस फिर क्या था, राजा का इतना आदेश हुआ कि बीरबल चतुराई भरा मुंह बनाकर दरबार में दाखिल हुए। पहले तो अकबर बीरबल पर बहुत नाराज हुए और कहने लगे, 'शायद सभी दरबारी ठीक ही कहते हैं! मैंने ही तुम्हें जरूरत से ज्यादा तवज्जों दी है। इसीलिए तुम यूं बीच में ही राज दरबार छोड़कर चले गए और मेरे सवाल का जवाब भी नहीं दिया।'

अकबर का इतना कहना ही हुआ कि बीरबल ने अकबर को प्रणाम करते हुए कहा - 'जहांपनाह, आप कुछ भूल रहे हैं। अभी-अभी जो दो कारीगर यहां उपस्थिति देकर गए हैं। उन्हें आपके पास भेजने के लिए ही मैं बाहर गया था। आपने यह कैसा न्याय किया, दो कारीगरों के साथ। एक को हजार स्वर्ण मुद्राएं और दूसरे को सिर्फ सौ चांदी की मुद्राएं।'

अकबर ने जवाब दिया- 'असली फूलों का गुलदस्ता तो दो दिनों में ही मुरझा जाएगा और यह पत्थर से निर्मित गुलदस्ता कभी भी खराब नहीं होगा इसीलिए।'

अकबर का इतना कहना ही था कि बीरबल ने अपना चतुराई भरा बाण छोड़ा और बोले- 'तो फिर आप भी मान गए ना कि मनुष्य द्वारा निर्मित वस्तु कुदरत के द्वारा निर्मित वस्तु से ज्यादा अच्छी है।'

अब जहांपनाह की बोलती ही बंद हो गई। वे बीरबल की चतुराई देखकर मन ही मन मुस्काएं और फिर से अपने सिंहासन पर बैठ गए।

सिंहासन पर बैठकर अकबर ने फिर एक बार बीरबल की खुले दिल से तारीफ की और सब दरबारी अपना मुंह लटका कर अपने-अपने कुर्सी पर बैठ गए। एक बार फिर बीरबल अपनी चतुराई दिखाने में कामयाब हो गए।

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एक समय की बात



एक समय की बात है। मालवा में अकाल पड़ गया। वहां के राजा सोचने लगे, क्या किया जाए? नदियां सूख रही हैं। कहीं भी पानी नहीं।

क्यों न कुएं खुदवाए जाएं, तभी प्रजा का पालन हो सकेगा। कुएं खोदते-खोदते महीनों बीत गए। पानी नहीं निकलना था, सो नहीं निकला। राज्य के पंडितों-जानकारों को बुलाया गया। कोई हल नहीं निकला। एक चालाक प‍ंडित ने कुछ सोचकर कहा-

'ये सब जलदेवी का प्रकोप है। वे तभी मानेंगी ‍जब किसी की बलि दी जाए। जमीन में जैसे ही किसी के खून की बूंद गिरेगी वो पानी से भर जाएगा। शर्त यह है कि वह 11 वर्ष का हो, उसके घुंघराले बाल हों और जिसके एक हाथ में छ: अंगुलियां हों।' इतना कहकर एक शैतानी मुस्कान से उसका चेहरा खिल उठा।

वास्तव में गांव में ऐसा एक ही लड़का था- सुमेर। सुमेर की मां सौतेली थी। पिता भी गुजर गए थे। पंडित के दिमाग में सुमेर को ठिकाने लगाने की योजना चल रही थी, क्योंकि पंडित सुमेर की सौतेली मां को पसंद करता था। वह स्त्री भी पैसे की लालची थी। पंडित और पैसे के चक्कर में वह स्त्री अपनी ममता भुला बैठी।

Child Story
उसने दो हजार मोहरें लेकर सुमेर को बलि के लिए दे दिया। सुमेर ठहरा मातृभक्त, पर मन ही मन उसे बड़ा दुख हुआ।

बलि का दिन तय हुआ। राजा ने सुमेर से पूछा- 'तुम्हारी अंतिम इच्‍छा क्या है?'

सुमेर बोला- 'मैं तो मोक्ष के लिए जा रहा हूं। मेरी बलि से अगर कुएं में पानी आता है तो यह मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होगी, किंतु बलि से पहले मुझे तीन दिन तक गांव में भीख मांगने की अनुमति चाहिए।'

राजा तैयार हो गया। दूसरे दिन सुमेर घर पहुंचा। दरवाजे पर उसे देख उसकी मां ने मुंह फेर लिया। तीन दिन तक सुमेर इस आशा में घर भीख मांगने गया कि शायद मां की ममता जाग जाए। पर पैसे का लोभ बड़ा बुरा होता है। उसने तीनों दिन सुमेर से मुंह फेर लिया। तीन दिन पूरे हुए। फिर बलि का दिन तय हुआ। हजारों नर-नारी बलि देखने आए।

राजा ने पूछा- 'मन में कोई बात हो तो कहो।'

सुमेर बोला-

'हे परमात्मा
मां मेरी माया की लोभी
पंडित है मेरी मां का लोभी
दुनिया है तमाशे की लोभी
राजा है पानी का लोभी
परमेश्वर, तू किसका लोभी?'

ऊपर राजा इन्द्र ने सुना तो उन्होंने जलदेवी से पूछा। जलदेवी ने कहा- 'भगवान, मैं किसी बल‍ि की अभिलाषी नहीं हूं। यह तो पंडित की चाल है।'

राजा इन्द्र और जलपरी ने मालवावासियों की आंखें खोलने की सोची।

जैसे ही बल‍ि होने वाली थी राजा इन्द्र की आकाशवाणी हुई- 'एक बलि से कुछ नहीं होगा। हजारों-हजार बल‍ि होगी, तब कहीं जलदेवी खुश होंगी।'

जलदेवी ने चारों ओर से ऐसे फव्वारे छोड़े कि जनता डूबने लगी। सभी घबराकर प्रार्थना करने लगे।

जलदेवी सुमेर का हाथ पकड़कर प्रकट हुईं।

कहा- 'कोई देवी-देवता मनुष्य की जान का लोभी नहीं है। बलि देना किसी पुण्य का काम नहीं है। देवी-देवता उससे खुश नहीं होते। जल अमृत के समान होता है। धरती पर अगर इसकी मात्रा कम होगी तो हजारों-हजार बल‍ि मुझे अपने आप मिल जाएंगी। जल की मात्रा कम होने का यूं तो कारण आप ही हैं, पर जल की बर्बादी रोकने के लिए मैंने पानी का अभाव पैदा किया। बलि की गलत धारणा खत्म करने के लिए बाढ़ का प्रकोप किया।'

राजा और प्रजा ने सिर झुकाकर जलदेवी का नमन किया और मन ही मन संकल्प लिया- 'अब कभी कोई बलि नहीं होगी, ना ही जल को बर्बाद होने देंगे।'

पंडित वहां से तुरंत चंपत हो गया।

राजा बालक सुमेर से बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे अपना उत्तराधिकारी बना दिया। मालवा में फिर अमन-चैन आ गया।

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हर जीव का मोल



एक राजा था, उन्होंने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाए कि कौन से जीव-जंतुओं का उपयोग नहीं है।

बहुत खोजबीन करने के बाद उन्हें जानकारी मिली कि संसार में दो जीव 'जंगली मक्खी' और 'मकड़ी' बिल्कुल बेकार हैं।

राजा ने सोचा- क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को खत्म कर दिया जाए। इसी बीच राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया। युद्ध में राजा की हार हुई और जान बचाने के लिए उन्हें राजपाट छोड़कर जंगल में जाना पड़ा।

शत्रु के सैनिक उनका पीछा करने लगे। काफी दौड़भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक पेड़ के नीचे सो गए। तभी एक जंगली मक्खी ने उनकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा की नींद खुल गई।

उन्हें ख्याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं है और वे एक गुफा में जा छिपे। राजा के गुफा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफा के द्वार पर जाला बुन दिया।

शत्रु के सैनिक उन्हें यहां-वहां ढूंढते हुए गुफा के नजदीक पहुंचे। द्वार पर घना जाला देखकर आपस में कहने लगे, 'अरे चलो आगे, इस गुफा में राजा आया होता तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।'

भगवान की बनाई दुनिया में हर जीव का मोल है, कब कहां किसकी जरूरत पड़ जाए।

गुफा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए।

उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज बेकार नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होती तो उसकी जान न बच पाती।



very Funny Jokes


Sweet insult!!
Ek ladka gadhe ke samne gir gaya.
Ek khubsurat ladki ne dekha aur kaha apne bade bhai ka pair chhu rahe ho kya?
Ladka : ji bhabhiji. 


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Sardar: Station jaane k kitne logay?
Rikshawala: 50
Sardar: 20 lelo
Riksha: 20 main kon le k jaayeega?
Sardar: tum piche bheto hum leke jaayega


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2 boys with Sardar where going on a Motor cycle.
Policeman gives hand to stop.
Sardar shouted oye pehle hi teen bhete hai tu kaha bethega…! 


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Sardar: Oye tu har message Do dafa q karta hay?
2nd Sardar: Taa k tu aik Forward kar de to doosra tere pas rahay!


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Santa went to Battery Shop n asked to change battery.

The shopkeeper asked: Exide laga doon?

Santa: Dusri side tera baap lagayega kya


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Ek Raat,
ek Chor,
ek Sardar k Ghar me Ghus gaya aur bola: SONA kaha hai?
Sardar: Ullu k patthe,
pura Ghar khaali hai kahi bhi jaake SOJA


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1 Over me Kitne Balls Peke Jate hai
Kya apne kaha 6?
Galat jawab
1 over me 1 hi ball 6 bar feka jata he
Bade aye!
Cricket k shokeeeen!
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Santa asks Banta: Tujay larki phasani aati hai?
Banta: Nahi..!
Santa: Nahi aati to seekh le..
Pehle ek kaagaz ka jahaaz bana..
Phir usay class mein ura..
Mam k puchne par.. larki ka naam lagade..
BAS PHAS GAI LARKI . . . 
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Cartoon Jokes Hindi



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