बीरबल एक ईमानदार तथा धर्म-प्रिय
व्यक्ति था। वह प्रतिदिन ईश्वर की आराधना बिना नागा किया करता था। इससे उसे नैतिक व
मानसिक बल प्राप्त होता था।
वह अक्सर कहा करता था कि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपा दृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं।
कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सकें।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।
मंदिर का पुजारी बोला - यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाए प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया।
अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा। तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो? -बादशाह अकबर ने सवाल किया।
अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा। तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो? -बादशाह अकबर ने सवाल किया।
बादशाह अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे।
बादशाह अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।
वह अक्सर कहा करता था कि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपा दृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं।
कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सकें।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं।
एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला- देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया- कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है?
कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल- मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।
नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।
मंदिर का पुजारी बोला - यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाए प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया।
अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा। तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो? -बादशाह अकबर ने सवाल किया।
अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा। तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।
तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो? -बादशाह अकबर ने सवाल किया।
बादशाह अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे।
बादशाह अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।
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