मरीज- नर्स बार-बार कह रही थी कि डरो मत, हिम्मत रखो, कुछ नहीं होगा। ये तो बस एक छोटा सा ऑपरेशन है।
दोस्त- तो इसमें डरने वाली कौन सी बात है। सही तो कह रही थी।
मरीज- वो मुझसे नहीं डॉक्टर से कह रही थी।
वो मुड़-मुड़ के देख रहे थे हमें, हम मुड़-मुड़ के देख रहे थे उन्हें, वो हमें, हम उन्हें, हम उन्हें, वो हमें, क्योंकि परीक्षा में न उन्हें कुछ आता था, न हमें..!
शराबियों से ज्यादा शिष्टाचारी कोई नहीं होता - अगर पेग तबीयत से लगे हों तो, टकराई हुई भैंस को भी ‘बहन जी सॉरी’ बोलकर आगे बढ़ जाते हैं।
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