कारण वही थे कि मनुष्य अपने आसपास की झाड़ियों, बागड़ और फूलों के पौधों की जगह पर खेती करने लगा या मकान बनाकर रहने लगा है और तितलियों के रहने के लिए जगह ही नहीं बची है। घास के मैदान, जंगल, बागड़ या फूलों की क्यारियाँ तितलियाँ, भौरों और कुछ कीटों के लिए रहने और जीने की जगह होती है। जैसे-जैसे यह जगह खत्म होती गई तितलियाँ और दूसरे जीवों का जीवन संकट में पड़ता गया। योरप में जो अध्ययन हुआ, उसमें यह बात सामने आई है कि १० प्रतिशत तितलियाँ संकट में हैं और उन्हें बचाया नहीं गया तो वे आने वाले समय में दिखाई नहीं देंगी।
हमारे देश की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग १५०० तितलियाँ पाई जाती हैं। मित्रों, तितली सिर्फ एक सुंदर जीव ही नहीं है, बल्कि हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण भाग है। वह एक फूल के पराग को दूसरे फूल तक पहुँचाती है और परागण क्रिया में सहायता करती है। इससे फूल बनते हैं और फूलों से ही फल और बीज।
सोचो, अगर यह खूबसूरत नन्हा जीव नहीं रहे तो फल कहाँ से आएँगे और नए पौधे कैसे बनेंगे? प्रकृति में तितलियों और फूलों का रिश्ता बना हुआ है। दोनों एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं। तितलियाँ फूलों के कानों में प्यार भरा गीत गुनगुनाती है। अपनी सूँडी से उन्हें सहलाती हैं और बतौर मेहनताना उन्हें मीठा मकरंद मिलता रहता है। तितलियाँ ऐसे ही हमारे परिवेश को रंगीन एवं खुशनुमा बनाती रहें इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा बाग-बगीचे लगाएँ। जंगल रहने दें। घास के मैदान बचाएँ। आँगन में रंग-बिरंगे फूलों की क्यारी सजाएँ, क्योंकि तितलियाँ हैं तो फूल हैं और फूल हैं तो फल।
तितलियों को अपना दोस्त बनाने के लिए गेंदा, एस्टर्स, लेन्टाना, कनेर, लाल पत्ता, हल्दी-कुंकू, सदाबहार चाँदनी जैसे पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाएँ। इन पर मँडराने वाली कुछ खास तितलियाँ हैं - ब्राउन पेन्सी, प्लेन टाइगर, पेपीलियो, कॉमन जेजबेल, लेमन पेन्सी, मोनार्क, स्ट्राइप्स टाइगर, कॉमन यलो और ब्लूज। आम मान्यता है कि तितलियों का जीवनकाल बहुत छोटा होता है, पर ऐसा नहीं है।
तितलियाँ कुछ सप्ताह से लेकर लगभग वर्षभर जिंदा रहती हैं, यदि शिकार से बची रहें तो। याद रखें तितलियों को देखने का मजा उन्हें एक फूल से दूसरे फूल तक मँडराते हुए देखने में ही है, उन्हें पकड़ने में नहीं। तो अब पुवाड़िये लेकर उनके पीछे भागना नहीं। फूलों को लगाकर उन्हें अपने पास बुलाना।
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