Sunday, June 22, 2014

akbar birbal stories in hindi - मासूम सज़ा


एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में आते ही दरबारियों से पूछा – किसी ने आज मेरी मूंछें नोचने की जुर्रत की। उसे क्या सज़ा दी जानी चाहिए।

दरबारियों में से किसी ने कहा – उसे सूली पर लटका देना चाहिए, किसी ने कहा उसे फाँसी दे देनी चाहिए, किसी ने कहा उसकी गरदन धड़ से तत्काल उड़ा देनी चाहिए।

बादशाह नाराज हुए। अंत में उन्होंने बीरबल से पूछा – तुमने कोई राय नहीं दी!
बादशाह धीरे से मुस्कराए, बोले - क्या मतलब? 

जहाँपनाह, ख़ता माफ हो, इस गुनहगार को तो सज़ा के बजाए उपहार देना चाहिए – बीरबल ने जवाब दिया। जहाँपनाह, जो व्यक्ति आपकी मूँछें नोचने की जुर्रत कर सकता है, वह आपके शहजादे के सिवा कोई और हो ही नहीं सकता जो आपकी गोद में खेलता है। गोद में खेलते-खेलते उसने आज आपकी मूँछें नोच ली होंगी। उस मासूम को उसकी इस जुर्रत के बदले मिठाई खाने की मासूम सज़ा दी जानी चाहिए – बीरबल ने खुलासा किया।

बादशाह ने ठहाका लगाया और अन्य दरबारी बगलें झांकने लगे।

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