Tuesday, January 5, 2016

Mulla Nasruddin Story 3: मुल्ला और पड़ोसी


एक पड़ोसी मुल्ला नसरुद्दीन के द्वार पर पहुंचा . मुल्ला उससे मिलने बाहर निकले .

“ मुल्ला क्या तुम आज के लिए अपना गधा मुझे दे सकते हो , मुझे कुछ सामान दूसरे शहर पहुंचाना है ? ”

मुल्ला उसे अपना गधा नहीं देना चाहते थे , पर साफ़ -साफ़ मन करने से पड़ोसी को ठेस पहुँचती इसलिए उन्होंने झूठ कह दिया , “ मुझे माफ़ करना मैंने तो आज सुबह ही अपना गधा किसी उर को दे दिया है .”

मुल्ला ने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अन्दर से ढेंचू-ढेंचू की आवाज़ आने लगी .

“ लेकिन मुल्ला , गधा तो अन्दर बंधा चिल्ला रहा है .”, पड़ोसी ने चौकते हुए कहा .

“ तुम किस पर यकीन करते हो .”, मुल्ला बिना घबराए बोले , “ गधे पर या अपने मुल्ला पर ?”

पडोसी चुप – चाप वापस चला गया .

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