केंद्र सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बढ़ती नजदीकियां दिल्ली और पटना के बीच की दूरी को कम करने वाली हैं। केंद्र सरकार ने दिल्ली और पटना के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की है। इसका परिचालन एक जुलाई से किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में इसकी विधिवत घोषणा सरकार की ओर से संसद में कर दी जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बुलेट ट्रेन दिन में दो बार दिल्ली से पटना के लिए खुलेगी और 6 घंटे में यह सफर पूरा होगा। दिल्ली और पटना के बीच यह किसी भी स्टेशन पर नहीं रुकेगी। फिलहाल इन दोनों शहरों के बीच का ट्रेन सफर अमूमन 12 से 14 घंटे का होता है। सफर के दौरान लोगों को लजीज खाने का भी आनंद मिलेगा। बुलेट ट्रेन के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ दिनों तक पटना से दिल्ली आने के लिए इसमें कोई टिकट नहीं लगेगा। पर इसका लाभ वही उठा सकेंगे, जो बिहार सरकार से यह प्रमाणपत्र लेंगे कि उनका दिल्ली जाना बेहद जरूरी है।
मालूम हो कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को पूरा करने की मंशा जता कर कांग्रेस ने पिछले दिनों नीतीश कुमार के दल का दिल जीतने की कोशिश की थी। नीतीश ने भी कांग्रेस के रिस्पांस पर सकारात्मक रुख दिखाया। ऐसे में बिहार को बुलेट ट्रेन का तोहफा देकर बैलट की लड़ाई में दोनों दलों के करीब आने की संभावना और बढ़ गई है।
बुलेट ट्रेन को बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की प्रक्रिया का ही हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन इस नए राजनीतिक समीकरण से गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी और बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, दोनों असहज हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार को अब इस इस बात की चिंता सताने लगी है कि पटना-दिल्ली के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के बाद दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-सैफई के बीच भी इसे चलाने की मांग न उठ जाए। कुछ कांग्रेसी अभी से इस पर मंथन करने लगे हैं कि ऐसी मांगों को किस दलील से नकारा जा सकता है।
दिलचस्प तो यह है कि पटना तक बुलेट ट्रेन चलाने की बात पर पूर्व रेल मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने चुप्पी साध रखी है। एक बार जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुंह घुमा लिया जैसे कुछ सुना ही न हो।
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