परीक्षा के पेपर में आया था कि रिक्तस्थान भरो (चाहेँ भरते-भरते दिमाग रिक्त हो जाये)—।।
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली …., …,चली।
पप्पू ने भरा- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली टेढी-मेढी चली।
मास्टर साहब बोले- तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है।
पप्पू – देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि हम बिल्ली को हज पर क्यों भेजेँ?
नौ सौ चूहे खाकर तो बिल्ली से हिला भी न जायेँ ।
ये बिल्ली है, कोई नेता थोडे न है कि जो कितना भी खाये, चलते ही जाये।।
....................................................................................................
परिवार की परम्परा!
अध्यापक: पप्पू तुम बहुत ज्यादा बोलते हो।
पप्पू: ये हमारी खानदानी परम्परा है।
अध्यापक: क्या मतलब है तुम्हारा?
पप्पू: सर, मेरे दादा जी एक फेरीवाले थे, और मेरे पिताजी एक अध्यापक।
अध्यापक: और अपनी माँ के बारे में बताओ?
पप्पू: सर वो एक औरत हैं
....................................................................................................
mahila train se utri,
usne Pappu se puchha: yeh koun sa station hai?
Pappu hasaa,
zor se hasaa,
zor zor se hasaa,
haste haste lot pot ho gaya,
aur badi mushkil se sambhalte huye bola
Pagli,
Ye Railway station hai…
??
....................................................................................................
एक दिन पप्पु ने अपनी माँ से पुछा कि, “माँ मैं कैसे पैदा हुआ..??”
माँ :- मैने एक बर्तन मे मिट्टी डाल के रख दी, कुछ दिन बाद उसमें से तुम मुझे मिले,,
पप्पु ने भी ऐसा ही करने कि सोची उसने एक बर्तन लिया और उसमे मिट्टी डालकर रख दिया,,
कुछ दिन बाद पप्पु ने बर्तन के पास जाकर देखा तो उसमे से एक मेंढक निकला,,
पप्पु(गुस्से मे) :- ” साले दिल तो करता है कि तुझे गोली मार दुँ, पर क्या करुँ औलाद है तु मेरी”
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली …., …,चली।
पप्पू ने भरा- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली टेढी-मेढी चली।
मास्टर साहब बोले- तू पगला गया है क्या ?
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है।
पप्पू – देखो मास्टर साहब पहली बात यह है कि हम बिल्ली को हज पर क्यों भेजेँ?
नौ सौ चूहे खाकर तो बिल्ली से हिला भी न जायेँ ।
ये बिल्ली है, कोई नेता थोडे न है कि जो कितना भी खाये, चलते ही जाये।।
....................................................................................................
परिवार की परम्परा!
अध्यापक: पप्पू तुम बहुत ज्यादा बोलते हो।
पप्पू: ये हमारी खानदानी परम्परा है।
अध्यापक: क्या मतलब है तुम्हारा?
पप्पू: सर, मेरे दादा जी एक फेरीवाले थे, और मेरे पिताजी एक अध्यापक।
अध्यापक: और अपनी माँ के बारे में बताओ?
पप्पू: सर वो एक औरत हैं
....................................................................................................
mahila train se utri,
usne Pappu se puchha: yeh koun sa station hai?
Pappu hasaa,
zor se hasaa,
zor zor se hasaa,
haste haste lot pot ho gaya,
aur badi mushkil se sambhalte huye bola
Pagli,
Ye Railway station hai…
??
....................................................................................................
एक दिन पप्पु ने अपनी माँ से पुछा कि, “माँ मैं कैसे पैदा हुआ..??”
माँ :- मैने एक बर्तन मे मिट्टी डाल के रख दी, कुछ दिन बाद उसमें से तुम मुझे मिले,,
पप्पु ने भी ऐसा ही करने कि सोची उसने एक बर्तन लिया और उसमे मिट्टी डालकर रख दिया,,
कुछ दिन बाद पप्पु ने बर्तन के पास जाकर देखा तो उसमे से एक मेंढक निकला,,
पप्पु(गुस्से मे) :- ” साले दिल तो करता है कि तुझे गोली मार दुँ, पर क्या करुँ औलाद है तु मेरी”
No comments:
Post a Comment