The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi
The 7 Habits of
Highly Effective People, या अतिप्रभावकारी
लोगों की 7 आदतें, Stephen R. Covey द्वारा लिखी गयी ये किताब आपने ज़रूर देखी, पढ़ी, या सुनी होगी. आज AchhiKhabar.Com पर मैं आपको इसी
best seller book का सार Hindi में
share कर रहा हूँ. यह पढकर यदि आपको लगता है कि वाकई करोड़ों
लोगों की तरह आप भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं तो बिना किसी झिझक के इस
book को ज़रूर खरीदें. यह book Hindi
में भी उपलब्ध है.
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2750 शब्दों की, इसलिए यदि आप
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7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful
आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं
,
ये
आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप
खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता
चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप
डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति
आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity
होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result
produce करें.
Habit
1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive
होने का मतलब है कि अपनी life
के
लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents
या grandparents
को
नही blame
कर
सकते . Proactive
लोग
इस बात को समझते हैं कि वो “response-able”
हैं
. वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष
नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ
जो लोग reactive
होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो
अपने behaviour
के
लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा
लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude
और performance
को
प्रभावित करता है, और वो मौसम को
दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना की तरह काम करती
हैं , जिन पर हम
react
करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में
आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती
है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप अपनी प्रतिक्रिया
का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव
कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को
indicate
करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive
व्यक्ति proactive
भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं
करूँगा, etc.
एक
reactive
व्यक्ति reactive
भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता
,
etc. Reactive लोग सोचते हैं कि वो
जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं
है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control
किया जा सकता है , उसपर
react
या
चिंता करने के बजाये proactive
लोग
अपना time
और energy
ऐसी
चीजों में लगाते हैं जिनको वो control
कर
सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर
होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:
2)Circle
of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )
Proactive
लोग
अपना प्रयत्न Circle of
Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ
कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे
,
कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive
लोग
अपना प्रयत्न Circle of
Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि
जानकारी होना कि हम अपनी energy
किन
चीजों में खर्च करते हैं, Proactive
बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है
Habit
2: Begin with the End in Mind अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें.
तो , आप बड़े होकर
क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल
थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके
बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते
थे, जिसका सपना आपने
देखा था, क्या आप वो कर
रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि
लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी
सफलता, जिसके बदले में
उससे कहीं बड़ी चीजों को गवाना पड़ा. यदि
आपकी सीढ़ी सही दीवार पर नहीं लगी है
तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.
Habit 2 आपके imagination या कल्पना पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental creation होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद visualize नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2 इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और ethical guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project की शुरआत एक clear vision के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2
को
practice
मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal
Mission Statement बनाना. इसका फोकस
इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success
के
लिए की गयी आपकी planning
है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके
goals
को focus
में
रखता है, और आपके
ideas
को
इस दुनिया में लाता है. आपका Mission
Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader
बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने
देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.
Habit
3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life
जीने के लिए, आपको इस बात को
समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से
अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत
हिचकिये, और फिर अपनी
important
priorities पर focus
कीजिये.Habit 1 कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3 दूसरी creation , यानि physical creation के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2 का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management से related कई प्रश्नों को deal करता है.
लेकिन यह सिर्फ
इतना ही नहीं है. Habit 3 life
management के बारे में भी है—आपका purpose,
values, roles ,और priorities.
“प्राथमिक चीजें” क्या हैं? प्राथमिक चीजें
वह हैं , जिसको आप
व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने
का मतलब है कि , आप अपना समय
,
अपनी उर्जा Habit 2
में
अपने द्वारा set
की
गयीं priorities
पर
लगा रहे हैं.
Habit
4: Think Win-Win हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win
अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह
कोईshort-cut
है.
यहcharacter
पर
आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract
और
सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison
और competition
के
आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं
जीता, तो तुम
हारे, तुम जीते तो मैं
हारा. इस तरह life
एकzero-sum game
बन
जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा
बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश
होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame
खेलते हैं, लेकिन आप ही
सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win
ज़िन्दगी कोco-operation
की
तरह देखती है, competition
कीतरह नहीं.Win-Win
दिल
और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती
है.Win-Win
का
अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी
खाने को मिलती है, और वो काफी
अच्छाtaste
करती
है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win
attitude के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें
होती हैं:
- Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
- Maturity / परिपक्वता : अपनेideas औरfeelings को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
- Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत
लोग either/or
केterms
में
सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win
में
दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance
करने जैसा है.Win-Win
को
अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी
होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा
करनाकि -courage
और consideration
मेंbalance
स्थापित हो, यहीreal maturity
है, और Win-Win
के
लिए बेहद ज़रूरी है.
Habit
5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication
लाइफ की सबसे ज़रूरी skill
है.
आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या
है? आपको ऐसी कौनसी
training
मिली है, जो आपको दूसरों
को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने
वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई
नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर
लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने
में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore
कर
देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे
कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस
शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss
कर
जाते हैं.
सोचिये ऐसा क्यों
होता है? क्योंकि ज्यादातर
लोग इस intention
के
साथ सुनते हैं कि उन्हें reply
करना है, समझना नहीं है.आप
अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी करते हैं कि आपको
आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने
हैं, etc.
आप
जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके
life-experiences से छनकर आप तक
पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या
गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना
लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है. क्या ये वाक्य
कुछ सुने-सुने से लगते है?
“अरे, मुझे पता है कि
तुम कैसा feel
कर
रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे
बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते
हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.
Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर
हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले
दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक
process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला
पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम
एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये
वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one
equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते
हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी
जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की
क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या
आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते
हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान
जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी
मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में
उत्साह भरते हैं.
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी
सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन
करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and
spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए
हैं:
Physical /
शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.
आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे,
आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि
आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face
करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है
, मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो
जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?
आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक
balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब
आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को
जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने
well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा
का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को
खो सकते हैं.
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