Wednesday, August 28, 2013

अकबर-बीरबल के रोचक और मजेदार किस्से : सबसे बड़ी चीज




एक दिन बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। ऐसे में बीरबल से जलने वाले सभी सभासद बीरबल के खिलाफ बादशाह अकबर के कान भर रहे थे। 

अक्सर ऐसा ही होता था, जब भी बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं होते थे, तभी दरबारियों को मौका मिल जाता था। आज भी ऐसा ही मौका था।

बादशाह के साले मुल्ला दो प्याजा की शह पाए कुछ सभासदों ने कहा -'जहांपनाह! 

आप वास्तव में बीरबल को आवश्यकता से अधिक मान देते हैं, हम लोगों से ज्यादा उन्हें चाहते हैं। आपने उन्हें बहुत सिर चढ़ा रखा है। जबकि जो काम वे करते हैं, वह हम भी कर सकते हैं। मगर आप हमें मौका ही नहीं देते।’

बादशाह को बीरबल की बुराई अच्छी नहीं लगती थी, अतः उन्होंने उन चारों की परीक्षा ली- 'देखो, आज बीरबल तो यहां हैं नहीं और मुझे अपने एक सवाल का जवाब चाहिए। 

यदि तुम लोगों ने मेरे प्रश्न का सही-सही जवाब नहीं दिया तो मैं तुम चारों को फांसी पर चढ़वा दूंगा।' बादशाह की बात सुनकर वे चारों घबरा गए।

उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा- 'प्रश्न बताइए बादशाह सलामत ?'
'संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है?
....और अच्छी तरह सोच-समझ कर जवाब देना वरना मैं कह चुका हूं कि तुम लोगों को फांसी पर चढ़वा दिया जाएगा।'
बादशाह अकबर ने कहा- 'अटपटे जवाब हरगिज नहीं चलेंगे। जवाब एक हो और बिलकुल सही हो।'
'बादशाह सलामत? हमें कुछ दिनों की मोहलत दी जाए।' उन्होंने सलाह करके कहा।

'ठीक है, तुम लोगों को एक सप्ताह का समय देता हूं।' बादशाह ने कहा।

चारों दरबारी चले गए और दरबार से बाहर आकर सोचने लगे कि सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है?

एक दरबारी बोला- 'मेरी राय में तो अल्लाह से बड़ा कोई नहीं।’

'अल्लाह कोई चीज नहीं है। कोई दूसरा उत्तर सोचो।' - दूसरा बोला।

'सबसे बड़ी चीज है भूख जो आदमी से कुछ भी करवा देती है।' - तीसरे ने कहा।

'नहीं…नहीं, भूख भी बर्दाश्त की जा सकती है।’

'फिर क्या है सबसे बड़ी चीज?' छः दिन बीत गए लेकिन उन्हें कोई उत्तर नहीं सूझा। 

हार कर वे चारों बीरबल के पास पहुंचे और उसे पूरी घटना कह सुनाई, साथ ही हाथ जोड़कर विनती की कि प्रश्न का उत्तर बता दें।

बीरबल ने मुस्कराकर कहा- 'मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है।'

'हमें आपकी हजार शर्तें मंजूर हैं।' चारों ने एक स्वर में कहा- 'बस आप हमें इस प्रश्न का उत्तर बताकर हमारी जान बख्शी करवाएं।  

'बताइए आपकी क्या शर्त है?' 'तुममें से दो अपने कंधों पर मेरी चारपाई रखकर दरबार तक ले चलोगे। एक मेरा हुक्का पकड़ेगा, एक मेरे जूते लेकर चलेगा।' बीरबल ने अपनी शर्त बताते हुए कहा।

यह सुनते ही वे चारों सन्नाटे में आ गए। उन्हें लगा मानो बीरबल ने उनके गाल पर कस कर तमाचा मार दिया हो। मगर वे कुछ बोले नहीं। अगर मौत का खौफ न होता तो वे बीरबल को मुंहतोड़ जवाब देते, मगर इस समय मजबूर थे, अतः तुरंत राजी हो गए।

दो ने अपने कंधों पर बीरबल की चारपाई उठाई, तीसरे ने उनका हुक्का और चौथा जूते लेकर चल दिया। रास्ते में लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे। दरबार में बादशाह ने भी यह मंजर देखा और वह मौजूद दरबारियों ने भी। कोई कुछ न समझ सका।

तभी बीरबल बोले- 'महाराज? दुनिया में सबसे बड़ी चीज है- गरज। अपनी गरज से यह पालकी यहां तक उठाकर लाए हैं।'

बादशाह मुस्कराकर रह गए। वे चारों सिर झुकाकर एक ओर खड़े हो गए। 

कहां से आए गांधीजी के तीन बंदर





गांधीजी के तीन बंदरों के बारे में आप सभी ने कुछ न कुछ सुनकर रखा होगा लेकिन क्या आप जानते है कि यह तीन बंदर कहां से आए थे। आइए हम आपको बताते है उनके बारें में महत्वपूर्ण जानकारी :-

गांधीजी के यह तीन बंदर मूलत: जापानी संस्कृति से लिए गए हैं।

वर्ष 1617 में जापान के निक्को स्थि‍त तोगोशु की बनाई गई इस समाधि पर यह तीनों बंदर उत्कीर्ण हैं।

हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि यह बंदर जिन सिद्धांतों की ओर इशारा करते हैं, वे बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो को दर्शाते हैं।

वे मूलत: चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवीं शताब्दी में ये चीन से जापान में आए। उस समय जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। शिंटो संप्रदाय में बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता है। शायद इसीलिए इस विचारधारा को बंदरों का प्रतीक दे दिया गया। यह यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। 

जापान में इन्हें मिजारू या‍नी जिसने दोनों हाथों से आंखें बंद कर रखी हैं, यानी जो बुरा नहीं देखता। दूसरे को किकाजारू यानी जिसने दोनों हाथों से कान बंद कर रखे हैं, यानी जो बुरा नहीं सुनता और तीसरे को इवाजारू जिसने दोनों हाथों स मुंह बंद कर रखा है, यानी जो बुरा नहीं कहता।

वहां पर इन्हें 'बुद्धिमान बंदर' माना जाता है। 

तेनालीराम की कहानियां : अपमान का बदला





तेनालीराम ने सुना था कि राजा कृष्णदेव राय बुद्धिमानों व गुणवानों का बड़ा आदर करते हैं। उसने सोचा, क्यों न उनके यहां जाकर भाग्य आजमाया जाए, लेकिन बिना किसी सिफारिश के राजा के पास जाना टेढ़ी खीर थी। वह किसी ऐसे अवसर की ताक में रहने लगा। जब उसकी भेंट किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से हो सके।

इसी बीच तेनालीराम का विवाह दूर के नाते की एक लड़की मगम्मा से हो गया। एक वर्ष बाद उसके घर बेटा हुआ। इन्हीं दिनों राजा कृष्णदेव राय का राजगुरु मंगलगिरि नामक स्थान गया। वहां जाकर रामलिंग ने उसकी बड़ी सेवा की और अपनी समस्या कह सुनाई।

राजगुरु बहुत चालाक था। उसने रामलिंग से खूब सेवा करवाई और लंबे-चौड़े वायदे करता रहा। रामलिंग अर्थात तेनालीराम ने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया और राजगुरु को प्रसन्न रखने के लिए दिन-रात एक कर दिया। राजगुरु ऊपर से तो चिकनी-चुपड़ी बातें करता रहा, लेकिन मन ही मन तेनालीराम से जलने लगा।

उसने सोचा कि इतना बुद्धिमान और विद्वान व्यक्ति राजा के दरबार में आ गया तो उसकी अपनी कीमत गिर जाएगी। पर जाते समय उसने वायदा किया- ‘जब भी मुझे लगा कि अवसर उचित है, मैं राजा से तुम्हारा परिचय करवाने के लिए बुलवा लूंगा।’ तेनालीराम राजगुरु के बुलावे की उत्सुकता से प्रतीक्षा करने लगा, लेकिन बुलावा न आना था और न ही आया।

लोग उससे हंसकर पूछते, ‘क्यों भाई रामलिंग, जाने के लिए सामान बांध लिया ना?’ कोई कहता, ‘मैंने सुना है कि तुम्हें विजयनगर जाने के लिए राजा ने विशेष दूत भेजा है।’ तेनालीराम उत्तर देता- ‘समय आने पर सब कुछ होगा।’ लेकिन मन ही मन उसका विश्वास राजगुरु से उठ गया।

तेनालीराम ने बहुत दिन तक इस आशा में प्रतीक्षा की कि राजगुरु उसे विजयनगर बुलवा लेगा। अंत में निराश होकर उसने फैसला किया कि वह स्वयं ही विजयनगर जाएगा। उसने अपना घर और घर का सारा सामान बेचकर यात्रा का खर्च जुटाया और मां, पत्नी तथा बच्चे को लेकर विजयनगर के लिए रवाना हो गया।

यात्रा में जहां कोई रुकावट आती, तेनालीराम राजगुरु का नाम ले देता, कहता, ‘मैं उनका शिष्य हूं।’ उसने मां से कहा, ‘देखा? जहां राजगुरु का नाम लिया, मुश्किल हल हो गई। व्यक्ति स्वयं चाहे जैसा भी हो, उसका नाम ऊंचा हो तो सारी बाधाएं अपने आप दूर होने लगती हैं। मुझे भी अपना नाम बदलना ही पड़ेगा।'

राजा कृष्णदेव राय के प्रति सम्मान जताने के लिए मुझे भी अपने नाम में उनके नाम का कृष्ण शब्द जोड़ लेना चाहिए। आज से मेरा नाम रामलिंग की जगह रामकृष्ण हुआ।’

‘बेटा, मेरे लिए तो दोनों नाम बराबर हैं। मैं तो अब भी तुझे राम पुकारती हूं, आगे भी यही पुकारूँगी।’ मां बोली।

कोडवीड़ नामक स्थान पर तेनालीराम की भेंट वहां के राज्य प्रमुख से हुई, जो विजयनगर के प्रधानमंत्री का संबंधी था। उसने बताया कि महाराज बहुत गुणवान, विद्वान और उदार हैं, लेकिन उन्हें कभी-कभी जब क्रोध आता है तो देखते ही देखते सिर धड़ से अलग कर दिए जाते हैं। जब तक मनुष्य खतरा मोल न ले, वह सफल नहीं हो सकता।

मैं अपना सिर बचा सकता हूं। तेनालीराम के स्वर में आत्मविश्वास था। राज्य प्रमुख ने उसे यह भी बताया कि प्रधानमंत्री भी गुणी व्यक्ति का आदर करते हैं, पर ऐसे लोगों के लिए उनके यहां स्थान नहीं है, जो अपनी सहायता आप नहीं कर सकते। चार महीने की लंबी यात्रा के बाद तेनालीराम अपने परिवार के साथ विजयनगर पहुंचा। वहां की चमक-दमक देखकर तो वह दंग ही रह गया।

चौड़ी-चौड़ी सड़कें, भीड़-भाड़, हाथी-घोड़े, सजी हुईं दुकानें और शानदार इमारतें- ये सब उसके लिए नई चीजें थी।’ उसने कुछ दिन ठहरने के लिए वहां एक परिवार से प्रार्थना की। वहां अपनी मां, पत्नी और बच्चे को छोड़कर वह राजगुरु के यहां पहुंचा। वहां तो भीड़ का ठिकाना ही नहीं था।

राजमहल के बड़े से बड़े कर्मचारी से लेकर रसोइया तक वहां जमा थे। नौकर-चाकर भी कुछ कम न थे। तेनालीराम ने एक नौकर को संदेश देकर भेजा कि उनसे कहो, तेनाली गांव से राम आया है। नौकर ने वापस आकर कहा, ‘राजगुरु ने कहा है कि वे इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानते।’

तेनालीराम बहुत हैरान हुआ। वह नौकरों को पीछे हटाता हुआ सीधे राजगुरु के पास पहुंचा, ‘राजगुरु आपने मुझे पहचाना नहीं? मैं रामलिंग हूं, जिसने मंगलगिरि में आपकी सेवा की थी।’ राजगुरु भला उसे कब पहचानना चाहता था। उसने नौकरों से चिल्लाकर कहा, ‘मैं नहीं जानता, यह कौन आदमी है, इसे धक्के देकर बाहर निकाल दो।’

नौकरों ने तेनालीराम को धक्के देकर बाहर निकाल दिया। चारों ओर खड़े लोग यह दृश्य देखकर ठहाके लगा रहे थे। उसका कभी ऐसा अपमान नहीं हुआ था। उसने मन ही मन फैसला किया कि राजगुरु से वह अपने अपमान का बदला अवश्य लेगा, लेकिन इससे पहले राजा का दिल जीतना जरूरी था।

दूसरे दिन वह राजदरबार में जा पहुंचा। उसने देखा कि वहां जोरों का वाद-विवाद हो रहा है। संसार क्या है? जीवन क्या है? ऐसी बड़ी-बड़ी बातों पर बहस हो रही थी। एक पंडित ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा, ‘यह संसार एक धोखा है। हम जो देखते-सुनते हैं, महसूस करते हैं, चखते या सूँघते हैं, केवल हमारे विचार में है। असल में यह सब कुछ नहीं होता, लेकिन हम सोचते हैं कि होता है।’

‘क्या सचमुच ऐसा है?’ तेनालीराम ने कहा।

‘यही बात हमारे शास्त्रों में भी कही गई है।’ पंडितजी ने थोड़ी ऐंठ दिखाते हुए हैरान होकर पूछा। और सब लोग चुप बैठे। शास्त्रों ने जो कहा, वह झूठ कैसे हो सकता है।

लेकिन तेनालीराम शास्त्रों से अधिक अपनी बुद्धि पर विश्वास करता था। उसने वहां बैठे सभी लोगों से कहा, ‘यदि ऐसी बात है तो हम क्यों न पंडितजी के इस विचार की सच्चाई जांच लें। हमारे उदार महाराज की ओर से आज दावत दी जा रही है, उसे हम जी भरकर खाएंगे। पंडितजी से प्रार्थना है कि वे बैठे रहें और सोचें कि वे भी खा रहे हैं।’

तेनालीराम की बात पर जोर का ठहाका लगा। पंडितजी की सूरत देखते ही बनती थी कि महाराज तेनालीराम पर इतने प्रसन्न हुए कि उसे स्वर्ण मुद्राओं की एक थाली भेंट की और उसी समय तेनालीराम को राज विदूषक बना दिया। सब लोगों ने तालियां बजाकर महाराज की इस घोषणा का स्वागत किया, उनमें राजगुरु भी था

(समाप्त)



ऑस्ट्रेलियाई कहानी : मिनावी बन गई मगरमच्छ



अनुवाद- रेखा राजवंशी (सिडनी, ऑस्ट्रेलिया)

(प्रिय बच्चों,


ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी यहां पर रहनेवाले 'एबोरीजनीज' यानी आदिवासी हैं जो अंग्रेजों के पहुंचने से पहले यहां पर बसे हुए थे। एबोरीजनल्स का कला और संगीत से गहरा रिश्ता था। अपनी सभ्यता और मूल्य अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए वे कहानियों का उपयोग करते थे। इन कहानियों को 'ड्रीमटाइम स्टोरीज' यानि स्वप्नकालिक कहानियां कहते हैं, इनके माध्यम से अपने नियम और परम्पराएं वे अपने बच्चों को सिखाते थे, उनकी कुछ रीतियां थीं जिनका पालन करना समूह के सदस्यों के लिए जरूरी था, नहीं तो दंड देने का विधान था। ऐसी ही एक कहानी है मिनावी की, जो मगरमच्छ बन गई।)

कुछ लोग अपने बच्चों के साथ समुद्र के किनारे एक कबीले में रहते थे, उसमें एक छोटी लड़की भी थी, जिसका नाम मिनावी था। मिनावी दूसरे सभी बच्चों से थोड़ी अलग थी। उसे अक्सर दूसरे बच्चों के बीच झगड़ा कराने में बहुत मजा आता था और इस वजह से पूरी टोली परेशान हो जाती थी। लगभग रोज कबीले में लड़ाई हो जाती थी।

एक बार की बात है कि डूबते हुए सूरज की लाल-गुलाबी किरणें खेल के मैदान पर पड़ रही थीं, सारी लड़कियां खेल का आनंद उठा रही थीं। सारे लड़के अपने पिता के साथ, बड़े आदमियों वाले काम सीख रहे थ। माएं शाम का खाना बनाने की तैयारी कर रहीं थीं। कोयले की आग पर एक ताजा मछली, ताजें केकड़े और मसेल के साथ पक रही थी। टोली के सभी लोग खुश थे।

फसल उनके लिए अच्छी रही थी। खूब ताजा खाना उपलब्ध था। मिनावी के अलावा सब खुश थे। मिनावी सबसे अलग थी। बचपन से ही, मिनावी को दूसरी लड़कियों को परेशान करना अच्छा लगता था।

मिनावी का चेहरा इतना बदसूरत और कठोर था, कि उसे देखकर उसके मन की नफरत का अंदाजा लगाया जा सकता था। बुजुर्गों को पता था कि मिनावी सबको परेशान करने की कोशिश करती है, जिससे झगड़ा होता है, न केवल छोटी लड़कियों में, बल्कि उनकी मां-ओं में भी।

बुजुर्गों ने मिनावी की मां को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मिनावी को गड़बड़ करने से नहीं रोका, तो उसके साथ कुछ भयानक घट जाएगा, पर मिनावी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

साल बीतते गए, और मिनावी जवान हो गई। पर उसे तब भी झगड़ा कराना अच्छा लगता था। एक दिन सारी जवान लड़कियों को, मिनावी को भी, दुल्हन बनने के लिए तैयार होना था। मिनावी भी अन्य लड़कियों के साथ खड़ी हो गई।

बुजुर्गों ने बताया कि कौन-सा लड़का किससे शादी करेगा। समारोह के आखिर में, मिनावी अकेली खड़ी रह गई। किसी भी लड़के ने उसे शादी के लिए नहीं चुना। मिनावी के मन में नफरत और ज़्यादा बढ़ गई। उसने टोली में और भी ज्यादा गड़बड़ करनी शुरू कर दी। कबीले में रोज ही लड़ाइयां होने लगीं। मिनावी अपनी छोटी-सी झोपड़ी में बैठी रहती और देखा करती, आप ही खुश होती रहती।

बुजुर्गों ने तय किया कि मिनावी को अपने किए की सज़ा मिलनी चाहिए। मिनावी को कबीले के निर्णय के बारे में थोड़ा-बहुत पता था। जब वह औरतों के बीच एक और झगड़ा कराने जा रही थी, आदमियों ने उसे पकड़लिया और जमीन में गिरा दिया उसे चारों ओर गोल-गोल घुमाया। वह किसी तरह भाग निकली और समुद्र के किनारे पहुंच गई जहां उसने बुरी आत्माओं से प्रार्थना की कि वे उसे एक क्रूर जानवर में बदल दें, जिससे वह अपने कबीले से बदला ले सके। 

मिनावी एक बड़े मगरमच्छ में बदल गई और चुपचाप कीचड़ में घुस गई, व अपने शिकार का इंतजार करने लगी। कबीले के लोग धीरे-धीरे मिनावी को भूल गए और अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गए।

एक दिन जब वे केकड़ों को ढूंढ़ने समुद्र के किनारे आए, मिनावी इंतजार में लेटी थी। एक आदमी जो मिनावी को सज़ा दिलाने में शामिल था, जब पानी में कूदा, तो मिनावी पीछे से रेंग कर आ गई और उसे दबोच लिया।

उसने आदमी से कहा कि वह उसे चारों ओर गोल-गोल घुमाएगी, उसने तब तक बार-बार, आदमी को पानी में घुमाया, जब तक उसे संतोष नहीं हो गया कि उसे काफी सज़ा मिल चुकी है तब से आज तक, मिनावी की आत्मा मगरमच्छ में समाई हुई है, और इसीलिए हर बार जब मगरमच्छ अपने शिकार को पकड़ता है तो हमेशा पानी में चारों तरफ गोल-गोल घुमाता है।

मूर्ख ब्राह्मणी का पछतावा


एक गांव में एक धार्मिक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। उसने मन बहलाने के लिए एक नेवला पाल लिया था। नेवले को ब्राह्मण के घर में घूमने-फिरने की पूरी स्वतंत्रता थी। ब्राह्मणी को नेवला बहुत अधिक प्यारा था।

कुछ दिनों के बाद ब्राह्मणी के घर एक बेटे का जन्म हुआ। ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा कि अब हमारे संतान हो गई है, इसलिए नेवले को घर से निकाल दो। कहीं ऐसा न हो कि नेवला बच्चे का नुकसान कर दे। ब्राह्मणी ने ब्राह्मण की बात न मानी।

एक दिन ब्राह्मणी कुंए पर पानी भरने गई। बच्चा पालने में सो रहा था और नेवला पालने के पास आराम कर रहा था। 

इतने में किसी तरफ से घर में एक सांप आ गया। वह बच्चे की ओर काटने को बढ़ा। नेवले ने यह सब देख लिया। नेवला सांप का शत्रु होता है। नेवले ने सांप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। घर में खून ही खून हो गया। नेवले ने बच्चे की जान बचा दी यह दिखाने के लिए वह घर के दरवाजे पर आ बैठा।


ब्राह्मणी जब कुंए से पानी भरकर लौटी तब उसने खून से लथपथ नेवले को दरवाजे पर देखा। वह नेवले को देखकर घबरा गई और यह समझी कि उसने बच्चे को मार डाला है, इसलिए गुस्से में ब्राह्मणी ने नेवले पर पानी भरा घड़ा दे मारा।

ब्राह्मणी रोती हुई घर के अंदर गई, देखा कि बच्चा पालने में सोया हुआ है। पास में सांप मरा हुआ पड़ा है। यह देखकर वह अपनी भूल पर पछताने लगी, उसको अपनी भूल मालूम हुई।

बिना सोचे समझे जो काम करते है, वह बाद में पछताते हैं। परिणाम बुरा ही होता है। हर काम सोच-समझकर विचार कर करना चाहिए।

7 Habits जो बना सकती हैं आपको Super Successful

The 7 Habits of Highly Effective People in Hindi


The 7 Habits of Highly Effective People, या अतिप्रभावकारी लोगों की 7 आदतें, Stephen R. Covey द्वारा लिखी गयी ये किताब आपने ज़रूर देखी, पढ़ी, या सुनी होगी. आज AchhiKhabar.Com पर मैं आपको इसी best seller book का सार Hindi में share कर रहा हूँ. यह पढकर यदि आपको लगता है कि वाकई करोड़ों लोगों की तरह आप भी इससे लाभान्वित हो सकते हैं तो बिना किसी झिझक के इस book को ज़रूर खरीदें. यह book Hindi में भी उपलब्ध है.

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7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको  Super Successful

आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं , ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण, हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये opportunity होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और positive result produce  करें.

Habit 1 : Be Proactive / प्रोएक्टिव बनिए
Proactive  होने का मतलब है कि अपनी life के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने parents  या  grandparents  को नही blame कर सकते . Proactive  लोग इस बात को समझते हैं कि वो “response-able” हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स , परिस्थितियों, या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive  होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प्रभावितहोते हैं. वो अपने behaviour  के लिए बाहरी चीजों को दोष देते हैं. अगर मौसम अच्छा है, तोउन्हें अच्छा लगता है.और अगर नहीं है तो यह उनके attitude और  performance  को प्रभावित करता है, और वो मौसम को दोष देते हैं. सभी बाहरी ताकतें एक उत्तेजना  की तरह काम करती हैं , जिन पर हम react करते हैं. इसी उत्तेजना और आप उसपर जो प्रतिक्रिया करते हैं के बीच में आपकी सबसे बड़ी ताकत छिपी होती है- और वो होती है इस बात कि स्वतंत्रता कि आप  अपनी प्रतिक्रिया का चयन स्वयम कर सकते हैं. एक बेहद महत्त्वपूर्ण चीज होती है कि आप इस बात का चुनाव कर सकते हैं कि आप क्या बोलते हैं.आप जो भाषा प्रयोग करते हैं वो इस बात को indicate  करती है कि आप खुद को कैसे देखते हैं.एक proactive व्यक्ति proactive भाषा का प्रयोग करता है.–मैं कर सकता हूँ, मैं करूँगा, etc. एक reactive  व्यक्ति reactive  भाषा का प्रयोग करता है- मैं नहीं कर सकता, काश अगर ऐसा होता , etc. Reactive  लोग  सोचते हैं कि वो जो कहते और करते हैं उसके लिए वो खुद जिम्मेदार नहीं हैं-उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
ऐसी परिस्थितियां जिन पर बिलकुल भी नहीं या थोड़ा-बहुत control किया जा सकता है , उसपर react या चिंता करने के बजाये proactive  लोग अपना time  और  energy  ऐसी चीजों में लगाते हैं जिनको वो  control  कर सकें. हमारे सामने जो भी समस्याएं ,चुनतिया या अवसर होते हैं उन्हें हम दो क्षेत्रों में बाँट सकते हैं:

 
1)Circle of Concern ( चिंता का क्षेत्र )

2)Circle of Influence. (प्रभाव का क्षेत्र )
Proactive  लोग अपना प्रयत्न Circle of Influence पर केन्द्रित करते हैं.वो ऐसी चीजों पर काम करते हैं जिनके बारे में वो कुछ कर सकते हैं: स्वास्थ्य , बच्चे , कार्य क्षेत्र कि समस्याएं. Reactive  लोग अपना प्रयत्न Circle of Concern पर केन्द्रित करते हैं: देश पर ऋण , आतंकवाद, मौसम. इसबात कि जानकारी होना कि हम अपनी energy किन चीजों में खर्च करते हैं, Proactive  बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है

Habit 2: Begin with the End in Mind  अंत को ध्यान में रख कर शुरुआत करें. 
तो , आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? शायद यह सवाल थोड़ा अटपटा लगे,लेकिन आप इसके बारे में एक क्षण के लिए सोचिये. क्या आप अभी वो हैं जो आप बनना चाहते थे, जिसका सपना आपने देखा था, क्या आप वो कर रहे हैं जो आप हमेशा से करना चाहते थे. इमानदारी से सोचिये. कई बार ऐसा होता है कि लोग खुद को ऐसी जीत हांसिल करते हुए देखते हैं जो दरअसल खोखली होती हैं–ऐसी सफलता, जिसके बदले में उससे कहीं बड़ी चीजों को  गवाना पड़ा. यदि आपकी सीढ़ी सही दीवा पर नहीं लगी है तो आप जो भी कदम उठाते हैं वो आपको गलत जगह पर लेकर जाता है.

Habit 2 
आपके imagination या  कल्पना  पर आधारित है– imagination , यानि आपकी वो क्षमता जो आपको अपने दिमाग में उन चीजों को दिखा सके जो आप अभी अपनी आँखों से नहीं देख सकते. यह इस सिधांत पर आधारित है कि हर एक चीज का निर्माण दो बार होता है. पहला mental creation, और दूसरा physical creation. जिस  तरह blue-print तैयार होने केबाद मकान बनता है , उसी प्रकार mental  creation  होने के बाद ही physical creation होती है.अगर आप खुद  visualize  नहीं करते हैं कि आप क्या हैं और क्या बनना चाहते हैं तो आप, आपकी life कैसी होगी इस बात का फैसला औरों पर और परिस्थितियों पर छोड़ देते हैं. Habit 2  इस बारे में है कि आप किस तरह से अपनी विशेषता को पहचानते हैं,और फिर अपनी personal, moral और  ethical  guidelines के अन्दर खुद को खुश रख सकते और पूर्ण कर सकते हैं.अंत को ध्यान में रख कर आरम्भ करने का अर्थ है, हर दिन ,काम या project  की शुरआत एक clear vision  के साथ करना कि हमारी क्या दिशा और क्या मंजिल होनी चाहिए, और फिर proactively  उस काम को पूर्ण करने में लग जाना.
Habit 2  को practice मेंलाने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपना खुद का एक Personal Mission Statement बनाना. इसका फोकस इस बात पर होगा कि आप क्या बनना चाहते हैं और क्या करना चाहते हैं.ये success के लिए की गयी आपकी planning है.ये इस बात की पुष्टिकरता है कि आप कौन हैं,आपके goals को focus  में रखता है, और आपके ideas  को इस दुनिया में लाता है. आपका Mission Statement आपको अपनी ज़िन्दगी का leader बनाता है. आप अपना भाग्य खुद बनाते हैं, और जो सपने आपने देखे हैं उन्हें साकार करते हैं.

Habit 3 : Put First Things First प्राथमिक चीजों को वरीयता दें
एक balanced life  जीने के लिए, आपको इस बात को समझना होगा कि आप इस ज़िन्दगीमें हर एक चीज नहीं कर सकते. खुद को अपनी क्षमता से अधिक कामो में व्यस्त करने की ज़रुरत नहीं है. जब ज़रूरी हो तो “ना” कहने में मत हिचकिये, और फिर अपनी important priorities पर focus  कीजिये.
Habit 1 
कहतीहै कि , ” आप in charge हैं .आप creator हैं”. Proactive होना आपकी अपनी choice है. Habit 2 पहले दिमाग में चीजों को visualize  करने के बारे में है. अंत को ध्यान में रख कर शुरआत करना vision से सम्बंधित है. Habit 3  दूसरी creation , यानि  physical creation  के बारे में है. इस habit में Habit 1 और Habit 2  का समागम होता है. और यह हर समय हर क्षण होता है. यह Time Management  से related कई प्रश्नों को  deal  करता है.

लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं है. Habit 3  life management  के बारे में भी है—आपका purpose, values, roles ,और priorities. “प्राथमिक चीजें” क्या हैंप्राथमिक चीजें वह हैं , जिसको आप व्यक्तिगत रूप से सबसे मूल्यवान मानते हों. यदि आप प्राथमिक कार्यों को तरजीह देने का मतलब है कि , आप अपना समय , अपनी उर्जा Habit 2  में अपने द्वारा set की गयीं priorities पर लगा रहे हैं.

Habit 4: Think Win-Win  हमेशा जीत के बारे में सोचें
Think Win-Win अच्छा होने के बारे में नहीं है, ना ही यह कोईshort-cut है. यहcharacter पर आधारित एक कोड है जो आपको बाकी लोगों सेinteract और सहयोग करने के लिए है.
हममे से ज्यादातर लोग अपना मुल्यांकन दूसरों सेcomparison और  competition  के आधार पर करते हैं. हम अपनी सफलता दूसरों की असफलता में देखते हैं—यानि अगर मैं जीता, तो तुम हारे, तुम जीते तो मैं हारा. इस तरह life एकzero-sum game बन जाती है. मानो एक ही रोटी हो, और अगर दूसरा बड़ा हिस्सा ले लेता है तो मुझे कम मिलेगा, और मेरी कोशिश होगी कि दूसरा अधिक ना पाए. हम सभी येgame  खेलते हैं, लेकिन आप ही सोचिये कि इसमें कितना मज़ा है?
Win -Win ज़िन्दगी कोco-operation की तरह देखती है, competition कीतरह नहीं.Win-Win दिल और दिमाग की ऐसी स्थिति है जो हमेंलगातार सभी काहित सोचने के लिए प्रेरित करती है.Win-Win का अर्थ है ऐसे समझौते और समाधान जो सभी के लिए लाभप्रद और संतोषजनक हैं. इसमें सभी   खाने को मिलती है, और वो काफी अच्छाtaste  करती है.
एक व्यक्ति या संगठन जोWin-Win attitude  के साथ समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है उसके अन्दर तीन मुख्य बातें होती हैं:
  1.  Integrity / वफादारी :अपनेvalues, commitments औरfeelings के साथ समझौता ना करना.
  2. Maturity / परिपक्वता :  अपनेideas औरfeelings  को साहस के साथ दूसरों के सामने रखना और दूसरों के विचारों और भावनाओं की भी कद्र करना.
  3. Abundance Mentality / प्रचुरता की मानसिकता :इस बात में यकीन रखना की सभी के लिए बहुत कुछ है.
बहुत लोग either/or  केterms  में सोचते हैं: या तो आप अच्छे हैं या आप सख्त हैं. Win-Win में दोनों की आवश्यकता होती है. यह साहस और सूझबूझ के बीचbalance  करने जैसा है.Win-Win को अपनाने के लिए आपको सिर्फ सहानभूतिपूर्ण ही नहीं बल्कि आत्मविश्वाश से लबरेज़ भी होना होगा.आपको सिर्फ विचारशील और संवेदनशील ही नहीं बल्कि बहादुर भी होना होगा.ऐसा करनाकि -courage और  consideration मेंbalance  स्थापित हो, यहीreal maturity  है, और Win-Win  के लिए बेहद ज़रूरी है.

Habit 5: Seek First to Understand, Then to Be Understood / पहले दूसरों को समझो फिर अपनी बात समझाओ.
Communication  लाइफ की सबसे ज़रूरी skill  है. आप अपने कई साल पढना-लिखना और बोलना सीखने में लगा देते हैं. लेकिन सुनने का क्या है? आपको ऐसी कौनसी training  मिली है, जो आपको दूसरों को सुनना सीखाती है,ताकि आप सामने वाले को सच-मुच अच्छे से समझ सकें? शायद कोई नहीं? क्यों?
अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह हैं तो शायद आप भी पहले खुद आपनी बात समझाना चाहते होंगे. और ऐसा करने में आप दुसरे व्यक्तिको पूरी तरह ignore कर देते होंगे , ऐसा दिखाते होंगे कि आप सुन रहे हैं,पर दरअसल आप बस शब्दों को सुनते हैं परउनके असली मतलब को पूरी तरह से miss  कर जाते हैं.
 सोचिये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि ज्यादातर लोग इस intention  के साथ सुनते हैं कि उन्हें reply  करना है, समझना नहीं है.आप अन्दर ही अन्दर खुद को सुनते हैं और तैयारी  करते हैं कि आपको आगे क्या कहना है,क्या सवाल पूछने हैं, etc. आप जो कुछ भी सुनते हैं वो आपके life-experiences  से छनकर आप तक पहुचता है.
आप जो सुनते हैं उसे अपनी आत्मकथा से तुलना कर देखते हैं कि ये सही है या गलत. और इस वजह से आप दुसरे की बात ख़तम होने से पहले ही अपने मन में एक धारणा बना लेते हैं कि अगला क्या कहना चाहता है.  क्या ये वाक्य कुछ सुने-सुने से लगते है?
अरे, मुझे पता है कि तुम कैसा feel  कर रहे हो.मुझे भी ऐसा ही लगा था.” “मेरे साथ भी भी ऐसा ही हुआ था.” ” मैं तुम्हे बताता हूँ कि ऐसे वक़्तमें मैंने क्या किया था.”
चूँकि आप अपने जीवन के अनुभवों के हिसाब से ही दूसरों को सुनते हैं. आप इन चारों में से किसी एक तरीके से ज़वाब देते हैं:
Evaluating/ मूल्यांकन:पहले आप judge करते हैं उसके बाद सहमत या असहमत होते हैं.
Probing / जाँच :आप अपने हिसाब से सवाल-जवाब करते हैं.
Advising/ सलाह :आप सलाह देते हैं और उपाय सुझाते हैं.
Interpreting/ व्याख्या :आप दूसरों के मकसद और व्यवहार को अपने experience के हिसाब से analyze करते हैं.
शायदआप सोच रहे हों कि, अपनेexperience के हिसाब से किसी सेrelate करने में बुराई क्याहै?कुछsituations में ऐसा करना उचित हो सकत है, जैसे कि जब कोई आपसे आपके अनुभवों के आधार पर कुछ बतानेके लिए कहे, जब आप दोनों के बीच एकtrust कीrelationship हो. पर हमेशा ऐसा करना उचित नहीं है.


Habit 6: Synergize / ताल-मेल बैठाना
सरल शब्दों में समझें तो , “दो दिमाग एक से बेहतर हैं ” Synergize करने का अर्थ है रचनात्मक सहयोग देना. यह team-work है. यह खुले दिमाग से पुरानी समस्याओं के नए निदान ढूँढना है.
पर ये युहीं बस अपने आप ही नहीं हो जाता. यह एक process है , और उसी process से, लोग अपनेexperience और expertise को उपयोग में ला पाते हैं .अकेले की अपेक्षा वो एक साथ कहीं अच्छाresult दे पाते हैं. Synergy से हम एक साथ ऐसा बहुत कुछ खोज पाते हैं जो हमारे अकेले खोजने पर शायद ही कभी मिलता. ये वो idea है जिसमे the whole is greater than the sum of the parts. One plus one equals three, or six, or sixty–या उससे भी ज्यादा.
जब लोग आपस में इमानदारी से interact करने लगते हैं, और एक दुसरे से प्रभावित होने के लिए खुले होते हैं , तब उन्हें नयी जानकारीयाँ मिलना प्रारम्भ हो जाता है. आपस में मतभेद नए तरीकों के आविष्कार की क्षमता कई गुना बढ़ा देते हैं.
मतभेदों को महत्त्व देना synergy का मूल है. क्या आप सच-मुच लोगों के बीच जो mental, emotional, और psychological differences होते हैं, उन्हें महत्त्व देते हैं? या फिर आप ये चाहते हैं कि सभी लोग आपकी बात मान जायें ताकि आप आसानी से आगे बढ़ सकें? कई लोग एकरूपता को एकता समझ लेते हैं. आपसी मतभेदों को weakness नहीं strength के रूप में देखना चाहिए. वो हमारे जीवन में उत्साह भरते हैं.

Habit 7: Sharpen the Saw कुल्हाड़ी को तेज करें
Sharpen the Saw का मतलब है अपने सबसे बड़ी सम्पत्ति यानि खुद को सुरक्षित रखना. इसका अर्थ है अपने लिए एक प्रोग्राम डिजाईन करना जो आपके जीवन के चार क्षेत्रों physical, social/emotional, mental, and spiritual में आपका नवीनीकरण करे. नीचे ऐसी कुछ activities केexample दिए गए हैं:

Physical / शारीरिक :अच्छा खाना, व्यायाम करना, आराम करना
Social/Emotional /:सामजिक/भावनात्मक :औरों के ससाथ सामाजिक और अर्थपूर्ण सम्बन्ध बनाना.
Mental / मानसिक :पढना-लिखना, सीखना , सीखना.
Spiritual / आध्यात्मिक :प्रकृति के साथ समय बीताना , ध्यान करना, सेवा करना.

आप जैसे -जैसे हर एक क्षेत्र में खुद को सुधारेंगे, आप अपने जीवन में प्रगति और बदलाव लायेंगे.Sharpen the Saw आपको fresh रखता है ताकि आप बाकी की six habits अच्छे से practice कर सकें. ऐसा करने से आप challenges face करने की अपनी क्षमता को बढ़ा लेते हैं. बिना ऐसा किये आपका शरीर कमजोर पड़ जाता है , मस्तिष्क बुद्धिरहित हो जाता है, भावनाए ठंडी पड़ जाती हैं,स्वाभाव असंवेदनशील हो जाता है,और इंसान स्वार्थी हो जाता है. और यह एक अच्छी तस्वीर नहीं है, क्यों?

आप अच्छा feel करें , ऐसा अपने आप नहीं होता. एक balanced life जीने काअर्थ है खुद कोrenew करने के लिए ज़रूरी वक़्त निकालना.ये सब आपके ऊपरहै .आप खुद को आराम करकेrenew कर सकते हैं. या हर काम अत्यधिक करके खुद को जला सकते हैं . आप खुद को mentallyऔर spiritually प्यार कर सकते हैं , या फिर अपने well-being से बेखबर यूँ ही अपनी ज़िन्दगी बिता सकते हैं.आप अपने अन्दर जीवंत उर्जा का अनुभव कर सकते हैं या फिर टाल-मटोल कर अच्छे स्वास्थ्य और व्यायाम के फायदों को खो सकते हैं.

आप खुद को पुनर्जीवित कर सकते हैं और एक नए दिन का स्वागत शांति और सद्भावके साथ कर सकते हैं.या फिर आप उदासी के साथ उठकर दिन को गुजरते देख सकतेहैं. बस इतना याद रखिये कि हर दिन आपको खुद को renew करने का एक नया अवसरदेता है, अवसर देता है खुद को recharge करने का. बस ज़रुरत है 

Pati Patni Jokes Hindi

Suno ji
ajj se AAPKE bina mai nahi,
aur MERE bina aap nahi.
4 Saal baad wohi bivi:
kutte! Ruk ja!
Aaj yaaa tu nahi ya mein nahi!

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Santa achanak do cigrate pene laga..
Wife: do cigrate kyun pe rahe ho?
Santa: dost ki yaad aa rahi hai.. Hum dono sath mein pete the.
Achanak ek din ek cigrate pene laga..
Biwi: ab kya hua…
Santa: bevkuf maine cigrate pene chod di hai!!

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Ek aadmi ne sabse jyada blood donate karke record banaya.
Blood bank walo ne uski wife ka shukriya Kuch aise kiya.
Thank u
*Aapne nahi piya tabhi to hamne liya*

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Girlfrnd: Es week roj shopping karenge, next week roj movie dekhenge.
Boyfrnd: Uske agle week roj mandir jayenge.
Girlfrnd: Kyu?
Boyfrnd: Bheekh maangne.

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Wife: Kal aap ne Padosan ke saath moovi dekhi..?
Husband: Kya kare..
Aaj kal ki movie Biwi Bachon ya family ke
saath dekhne laayak kaha banti hai..?

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Aadmi: calls his wife, Nokar ne phone receive kiya..!!
Aadmi: Begam Saheba se baat karwao!!
Nokar: Woh to sahab k sath so rahi hain!!
Aadmi: Per sahab to me hun!!
Nokar: Ab me kya karun??
Aadmi: Maar do dono ko

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AFTER KILLING
Nokar: Lashon ka kya karun??
Aadmi: Ghar k piche jo naddi hai us me phenk k bhaag ja!!
Nokar: Par ghar k piche to koi naddi nahi hai!!!
Aadmi: To kya ye 3530153 num nahi hai??
Nokar: Nahi
Aadmi: Sorry WRONG NUMBER..!!

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Yamraj: Tumne Paap aur punya dono kiya hai,
Isliye Swarg jaisa Nark milega.
Man: Wo Kaise?
Yamraj: Agle janam mein shaadi to hogi Lekin wahi puraani Biwi ke saath

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2 ladies ko 20 sal ki jail ki saza mili
20 sal tak jail mein guzarne ke bad
Jab dono riha hui to dono ne muskurate hue kaha…..
Chalo ab baki bate ghar pahoch ke karte hai


Boolne Wala Kutta… Funny Short Story in Hindi

Ek Dukandaar Ke Bahar Likha Tha:
“Insaano Ki Tarah Baat Karne Wala Kutta Bikau hai”


Ek Aadmi Dukandaar Se Jaakar Boola:
“Main Us Kutte Ko Dekhna Chahta Hun…”


Dukaandaar Ne Kaha:
Sath Ke Kamre Main Baitha Hai,

Jaa Kar Mil Lo!

“Aadmi Us Kamre Main Gaya. Kurshi Par Ek Hatta-Katta Kutta Baitha Tha.”

Aadmi Ne Kutte Se Pucha: Kyun Bhai, Tum Yahan Kya Kar Rahe ho?

Kutte Ne Jawab Diya: Kar To Main Bahut Kuch Sakta Hun…
Lekin Aajkal Is Dukaan Ki Rakhwaali Karta Hun. Isse Pahile America Ke Jasusi Mahakme Main Kaam Karta Tha. Aur Kai Khookhaar Aatankvaadiyon Ko Pakadwaya hai…. Fir England Chala Gaya Jahan Police Ke Liye Mukhbari Karta Tha Ek Saal Baad Yahan aa Gaya.


Us Aadmi Ne Dukandaar Se Pucha:
Etne Gunwaan Kutte Ko Aap Kyun Bechna Chahte Ho??



“Awwal Number Ka Jhuta Hai” Jawab Mila :D

Monday, August 26, 2013

5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?

5 things you should stop doing.

दोस्तों  जाने  अनजाने  हम  ऐसी  कई  चीजें करते  हैं  जो  हमारे  personal development के  लिए  ठीक  नहीं  होतीं. वैसे  तो  इन  चीजों  की  list बहुत  लम्बी  हो  सकती  है  पर  मैं  आपके  साथ  सिर्फ  पांच  ऐसी  बातें  share कर  रहा  हूँ  जो  मैं  follow करता  हूँ .हो  सकता  है  कि  आप  already इनमे  से  कुछ  चीजें  practice करते  हों , पर  अगर  आप  यहाँ  से  कुछ  add-on कर  पाते  हैं  तो  definitely वो  आपके  life को  better बनाएगा . So , let’s see those 5 things:

5 चीजें  जो  आपको  नहीं  करनी  चाहिए  और  क्यों ?

 1) दूसरे  की  बुराई  को  enjoy करना 
ये  तो  हम  बचपन  से  सुनते  आ  रहे  हैं  की  दुसरे  के  सामने  तीसरे  की  बुराई  नहीं  करनी  चाहिए , पर  एक और  बात  जो  मुझे  ज़रूरी  लगती  है  वो  ये  कि  यदि  कोई  किसी  और  की  बुराई  कर  रहा  है  तो  हमें  उसमे  interest नहीं  लेना  चाहिए  और  उसे  enjoy नहीं  करना  चाहिए . अगर  आप  उसमे  interest दिखाते  हैं  तो  आप  भी  कहीं  ना  कहीं  negativity को  अपनी  ओर  attract करते  हैं . बेहतर  तो  यही  होगा  की  आप  ऐसे  लोगों  से  दूर  रहे  पर  यदि  साथ  रहना  मजबूरी  हो  तो  आप  ऐसे  topics पर  deaf and dumb हो  जाएं  , सामने  वाला  खुद  बखुद  शांत  हो  जायेगा . For example यदि  कोई  किसी  का  मज़ाक  उड़ा रहा  हो  और  आप  उस पे  हँसे  ही  नहीं  तो  शायद  वो  अगली  बार  आपके  सामने  ऐसा  ना  करे . इस  बात  को  भी  समझिये  की  generally जो  लोग  आपके  सामने  औरों  का  मज़ाक  उड़ाते  हैं  वो  औरों  के  सामने  आपका  भी  मज़ाक  उड़ाते  होंगे . इसलिए  ऐसे  लोगों  को  discourage करना  ही  ठीक  है .

2) अपने  अन्दर  को  दूसरे  के  बाहर  से  compare करना 
इसे  इंसानी  defect कह  लीजिये  या  कुछ  और  पर  सच  ये  है  की  बहुत  सारे  दुखों  का  कारण  हमारा  अपना  दुःख  ना  हो  के  दूसरे   की  ख़ुशी  होती  है . आप  इससे  ऊपर  उठने  की  कोशिश  करिए , इतना  याद  रखिये  की  किसी  व्यक्ति  की  असलियत  सिर्फ  उसे  ही  पता  होती  है , हम  लोगों  के  बाहरी यानि नकली रूप  को  देखते  हैं  और  उसे  अपने  अन्दर के यानि की असली  रूप  से  compare करते  हैं . इसलिए  हमें लगता  है  की  सामने  वाला  हमसे  ज्यादा  खुश  है , पर  हकीकत  ये  है  की  ऐसे  comparison का  कोई  मतलब  ही  नहीं  होता  है . आपको  सिर्फ  अपने  आप  को  improve करते  जाना  है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.

3) किसी  काम  के  लिए  दूसरों  पर  depend करना 
मैंने  कई  बार  देखा  है  की  लोग  अपने  ज़रूरी काम  भी  बस  इसलिए  पूरा  नहीं  कर  पाते क्योंकि  वो  किसी  और  पे  depend करते  हैं . किसी  व्यक्ति  विशेष  पर  depend मत  रहिये . आपका  goal; समय  सीमा  के  अन्दर  task का  complete करना  होना चाहिए  , अब  अगर  आपका  best  friend तत्काल  आपकी  मदद  नहीं  कर  पा  रहा  है  तो  आप  किसी  और  की  मदद  ले  सकते  हैं , या  संभव  हो  तो  आप  अकेले  भी  वो  काम  कर  सकते  हैं .
ऐसा  करने  से  आपका  confidence बढेगा , ऐसे  लोग  जो  छोटे  छोटे  कामों  को  करने  में  आत्मनिर्भर  होते  हैं  वही  आगे  चल  कर  बड़े -बड़े  challenges भी  पार  कर  लेते  हैं , तो  इस  चीज  को  अपनी  habit में  लाइए  : ये  ज़रूरी  है की  काम  पूरा  हो  ये  नहीं  की  किसी  व्यक्ति  विशेष  की  मदद  से  ही  पूरा  हो .

4) जो बीत गया  उस  पर  बार  बार  अफ़सोस  करना
अगर  आपके  साथ  past में  कुछ  ऐसा  हुआ  है  जो  आपको  दुखी  करता  है  तो  उसके  बारे  में  एक  बार  अफ़सोस  करिए…दो  बार  करिए….पर  तीसरी  बार  मत  करिए . उस  incident से जो सीख  ले  सकते  हैं  वो  लीजिये  और  आगे  का  देखिये . जो  लोग  अपना  रोना  दूसरों  के  सामने  बार-बार  रोते  हैं  उसके  साथ  लोग  sympathy दिखाने  की  बजाये उससे कटने  लगते  हैं . हर  किसी  की  अपनी  समस्याएं  हैं  और  कोई  भी  ऐसे  लोगों  को  नहीं  पसंद  करता  जो  life को  happy बनाने  की  जगह  sad बनाए . और  अगर  आप  ऐसा  करते  हैं  तो  किसी  और  से  ज्यादा  आप ही  का  नुकसान  होता  है . आप  past में  ही  फंसे  रह  जाते  हैं , और  ना  इस  पल  को  जी  पाते  हैं  और  ना  future के  लिए  खुद  को prepare कर  पाते  हैं .


5) जो  नहीं  चाहते  हैं  उसपर  focus करना 
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है.  इसलिए   आप  जो  होते  देखना  चाहते  हैं  उस  पर  focus करिए , उस  बारे  में  बात  करिए  ना  की  ऐसी  चीजें  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं . For example: यदि  आप अपनी  income बढ़ाना  चाहते  हैं  तो  बढती  महंगाई  और  खर्चों  पर  हर  वक़्त  मत  बात  कीजिये  बल्कि  नयी  opportunities और  income generating ideas पर  बात  कीजिये .

इन  बातों पर  ध्यान  देने  से  आप  Self Improvement के  रास्ते  पर  और  भी  तेजी  से  बढ़ पायेंगे  और  अपनी  life को  खुशहाल  बना  पायेंगे . All the best. :)

क्योंकि सपने सच होते हैं!

जो  खुद  बड़े  सपने  नहीं  देखते  वे generally दूसरों  के  बड़ो  सपनो  को  भी  नहीं  समझ  पाते . अगर  आप  भी  अपने  किसी  सपने  को  साकार  करने  में  लगे  हैं  तो  इस  बात  के  लिए  तैयार  रहिये  की  आपको  एक  encourage करने  वाले  तक  पहुँचने  से  पहले  दस  discourage करने  वालों  को  face करना  होगा .
जब  आप  अपने  dreams को  लोगों  से  share करेंगे  , ख़ास  तौर   पर  ऐसे  dreams जो  लीक  से  हटकर  हों  तो  ज्यादातर  लोग  आपकी  ideas पर  doubt करेंगे …और   अपने  तर्कों  -कुतर्कों   से  उसे वहीँ  kill करने  में   लग  जायेंगे … and mind you most of the times वे  ऐसा  intentionally नहीं  करते , उनमे  से  कुछ  तो  इस  तरह  programmed होते  हैं  कि  जब  कोई  चीज  सामने  आती  है  तो  उसे  कमियां  निकालने  के  मकसद  से  देखते  हैं ; और  बाकी  कुछ  नया  करने  के  जोखिम  से  डरते  हैं ; इसलिए  उन्हें  अजीब    लगता  है कि जब वे डरते हैं तो औरों को भी डरना चाहिए, उन्हें आपका ना डरना अस्वाभाविक लगता है और वो आपको oppose करते  हैं ताकि आप भी स्वाभाविक हो जाएं  . And generally ये  हमारे  करीबी  लोग  ही  होते  हैं , वे  हमें  मानते  हैं  और  हमें  सफल  होते  भी  देखना  चाहते  हैं , पर  उनके  दिमाग  में  सफलता  का  जो  model defined है  वो  आपके  प्लान  से  match नहीं  करता  और  शायद  इसीलिए  वो  जाने – अनजाने   आपको  discourage करने  लगते  हैं .

क्या  ऐसे  लोगों  को  कोई  importance नहीं  देनी  चाहिए  ?
नहीं , ऐसा  नहीं  है , मेरा  तो  मानना  है  कि   जब  आप  starting phase में  हों  तो  discourage करने  वाले  लोग  encourage करने  वालों  से  अधिक  महत्तव  रखते  हैं . I think आपको  इसे  एक  challenge के  रूप  में  देखना  चाहिए …जब  आप  ऐसे  लोगों  को  convince करने  की  कोशिश  कर  रहे  होते  हैं  तो  दरअसल  आप  खुद  को  ही  और  कन्विंस  करने  में  लगे  होते  हैं  कि   हाँ  what I am going to do can be done…. इसकी  चिंता  मत  करिए  कि  सामने  वाला  convince हुआ  की  नहीं  चिंता  इसकी  कीजिये  कि   आपका  इरादा  कमजोर तो  नहीं पड़ा  ….   आप  अभी  भी  आगे  बढ़ने  को  ready हैं  कि  आप  अभी  भी  risk लेने  को  तैयार  हैं …
एक  anecdote है …जब  एक  salesman से  किसी  ने  कहा  कि   तुम  यहाँ  जूते  कैसे  बेचोगे , यहाँ  तो  कोई  जूते  पहनता  ही  नहीं  तो  salesman की  आँखें  चमक  गयीं … “wow! इसका  मतलब  मैं  यहाँ  हर किसी को  जूते  बेच  सकता  हूँ ….”
लोग  आपके  plans में  कमियाँ  निकालेंगे  ही  पर  अगर  आप  अपने  idea को  लेकर  determined हैं  तो  वे  आपको  पीछे  नहीं  धकेल  पायेंगे …और  अगर  वे  ऐसा  कर  लेते  हैं  तो  उनके  शुक्रगुजार  रहिये …. क्योंकि  अगर  आप  उनके  logic भर से  doubt में  आ गए  तो  reality में  वो  काम  करने  में  तो  उससे  कहीं  अधिक  चैलेंजेज  आते …तब  आप  क्या  करते ??

तो  क्या  इसका  मतलब  मैं  हार  मान  लूँ ?
Nooo, आप  अपने idea को drop करके  किसी  और  से  नहीं  आप  हारे  क्योंकि  कहीं  न  कहीं  आप  खुद  अपने  plan को लेकर   convinced नहीं  थे …अब  एक  बार  फिर  आपको  खुद  को  convince करना  होगा …आपको  existing plan में  कुछ  change करना  होगा  या  एक  नया  सपना  देखना  होगा …हाँ  अगर  आपको  अपने  पहले  plan में  सचमुच  खामियां  नज़र  आ जाती  हैं  तो  उसे  ढोने  की  ज़रुरत  नहीं  कि  …मैंने  ऐसे -ऐसे  सोचा  था  और  सबसे   बता  भी  दिया  है  अब  तो  करना  ही  पड़ेगा , ये  जानते  हुए  भी कि  मैं  खुद  इससे  convinced नहीं  हूँ फिर भी  मुझे  करना  होगा …NO you  don’t have to…ऎसी गलती  कभी  मत  करिए halfheartedly कोई  काम  मत  शुरू  करिए …as a human being आपमें  infinite potential है …किसी  भी  क्षण  आप  कोई  भी  नया  सपना  बुनने  और  उसे  साकार  करने  का  माद्दा  रखते  हैं …so why waste your ability…कुछ  नया  सोचिये , एक  बार फिर   जोश  से  भर  जाइये  और  एक  नए  सपने के  साथ  दुनिया के सामने खड़े हो जाइये!!

और  अगर  मैं  लोगों  के  discourage करने  के  बावजूद  हार  नहीं  मानता  तो  ?
तो  आप  बधाई  के  पात्र  हैं …. Congratulations :) …. आपने  वो  stage पार  कर  ली  है जिसपर 90% लोग  अटक  जाते  हैं …यहाँ  पहुँचने  का  मतलब  आपने  अपने  self-doubts clear कर  लिए  हैं , आपने  खुद  को  और  भी  convince कर  लिया  है  कि  Yes I can do it! अब  आप  discourage करने  वाले  लोगों  से  दूरी  बना  लीजिये ….इन्हे  तो  आप  already हरा  चुके  हैं … अब  तो  बस  आगे  बढ़ना  है  अपने  सपनो  को  साकार  करना  है .
मैंने  भी  जब  AchhiKhabar.Com (AKC) शुरू  किया  था  तो   बड़े  excitement के  साथ  अपने plans लोगों  को  बताता  था …पर  बहुत  कम  ही  वो  excitement reciprocate होती  थी …ज्यादातर   लोग  Hindi blog  के  future को  लेकर  doubtful ही  रहते  थे …और  जब  starting months में  बस  चालीस – पचास  page views per day होते  थे   तो  भी  मुझे  कुछ  करीबी  लोगों  से  अपना  प्लान  change  करने  की  सलाह  मिली …but as you know…I didn’t give up , मैं  लगा  रहा  और  आज  AKC पर  चालीस  - पचास  हज़ार  page views per day होते  हैं. :)
Friends, आप  जो  भी  कर  रहे  या  करने  का  सोच  रहे  हैं , आपको  उससे  तबतक  पीछे  हटने  की  ज़रुरत  नहीं  है  जब  तक  आप  इस  बात  से  convinced हैं  कि   आप  value create कर  रहे  हैं  …आप  कुछ  ऐसा  कर  रहे  हैं  जो  औरों  की  life आसान  बना  रहा  है !  हो  सकता  है  इसके  बावजूद  आपको  results मिलने में समय लगे  …पर  अगर  आप  डंटे   रहेंगे  तो  आपको  results ज़रूर  मिलेंगे …कई  businesses में  तो  break-even point  ही  एक  साल  बाद  आता  है ; यानि  no profit no loss पर  पहुँचने  में  1 साल  लग  जाता  है …so be patient…लगे  रहिये …और चाहे जितनी भी problems क्यों न आ जाएं सपने देखना मत छोडिये…क्योंकि  सपने  सच  होते  हैं !

All the best. :)