Monday, April 7, 2014

जनरल नॉलेज : हीरे के बारे में हीरा है सदा के लिए



'जौहरी ही हीरे की कद्र जानता है' या 'आदमी क्या है बस यह समझो हीरा है हीरा' आदि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बोले जाने वाले कुछ ऐसे वाक्य हैं, जो यह जाहिर करते हैं कि हमारे जीवन में हीरे की कितनी अहमियत है। तभी तो हम लोग हीरे को अपने यहां के आभूषणों की जान मानते हैं

संसारभर में केवल तीन ही देश ऐसे हैं, जहां से हीरा प्राप्त किया जाता है। सबसे पहले हीरा भारत में ही प्राप्त किया गया था। दूसरे नंबर पर आया दक्षिण अमेरिका और अंत में दक्षिण अफ्रीका, जो कि आजकल हीरे का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

संसारभर में हीरे के उत्पादन का 97 प्रतिशत भाग यहीं से प्राप्त होता है। भारत में चेन्नई, मध्यप्रदेश, उड़ीसा तथा प. बंगाल इसके प्रमुख क्षेत्र माने जाते हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भुजगावन क्षेत्र से हीरे की सर्वाधिक मात्रा में प्राप्ति होती है, जो भारत में प्राप्त होने वाली इसकी मात्रा का 95 प्रतिशत है।

हीरे की चार प्रमुख किस्में हैं- विशिष्ट, बोर्ट, बैलस और कार्बनेडो। इनमें सिर्फ विशिष्ट वाली किस्म ही उत्तम, पूर्ण स्फटिक, पारदर्शी और बहुत महंगी होती है, जो आभूषणों में जड़ने के काम आती है। शेष का उपयोग तो उद्योग-धंधों में ही होता है, जहां इसकी कठोरता का फायदा उठाकर काटने और छेदने वाले औजारों में नोक की जगह हीरा लगाकर काम में लाया जाता है।

हीरे को कैरेट में मापा जाता है और एक कैरेट की माप 0.200 ग्राम यानी 200 मिलीग्राम के बराबर मानी गई है। कलिनन, कोहिनूर, आरलाफ, अकबर शाह, ग्रेट मुगल, रीजेंट, डडले, स्टार ऑफ द साउथ आदि हीरे के कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने संसारभर में प्रसिद्धि हासिल की है।

खानों से निकलकर हीरा यूं ही सीधे बाजारों में ऊंचे भावों पर बिकने नहीं लगता। इसका रंग-रूप निखारने के लिए इसे कुशल कारीगरों के हाथों से गुजरना पड़ता है, जो काट-तराशकर इसकी गिनती संसार की बहुमूल्य चीजों में करा देते हैं। खान से पत्थर के रूप में निकले हीरे को नग का रूप प्राप्त करने तक चार प्रमुख क्रियाओं से गुजरना पड़ता है, वे हैं क्लीवेज, कटिंग, पॉलिशिंग और सेटिंग।

आपने यह सुना होगा कि हीरे को चाटने पर इंसान की मृत्यु हो जाती है लेकिन यह महज एक कोरी भ्रांति है। इसका वास्तविकता कोई लेना-देना नहीं हैं।

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