Sunday, October 6, 2013

Hasya Kavita: संभल कर बोलें पत्नी के आगे….

जनाब औरतों के सामने जरा संभल कर जुबान खोलें
एक कवि की शादी हुई …

पहली मुलाकात में दूल्हे ने अपनी साहित्यक भाषा में अपनी दुल्हन से बातचीत की शुरुआत कुछ इस तरह से की -


“प्रिय, आज से तुम ही मेरी कविता हो , अभिलाषा हो , भावना हो, कामना हो..”

दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा-


“मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे मुकेश हो, मितेश हो ,सुरेश हो, रमेश हो..”
…………………….

ऐसा लड़का तो आई.सी.यू. वॉर्ड में ही मिलेगा !!


लड़की वाले : जी हमें तो ऐसा लड़का चाहिए जो पान,

सिगरेट, दारू ना लेता हो.. सिर्फ़ उबला हुआ शुद्ध


शाकाहारी खाना खाए, और दिन रात भगवान

का नाम ले..!! .

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पंडित : ऐसा लड़का तो आपको सिर्फ़ गंगा राम


हस्पताल के आई.सी.यू. वॉर्ड में ही मिलेगा !!


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