कहीं देखी है ऐसी 'सोशल
क्लास'?
सोशल मीडिया का असर स्कूलों में पढ़ाई के
परंपरागत तरीकों में बदलाव का रास्ता खोल रहा है। अगर आप ब्लैकबोर्ड और चॉक को भूल
गए हैं तो व्हाइटबोर्ड और मार्कर को भी भूल जाइए। किताबें, कापियां और अभ्यास
पुस्तिकाओं को भी भूला जा सकता है। क्योंकि भविष्य के क्लासरूम में शायद इनकी भी
जरूरत न पड़े...
भविष्य में बच्चों के विकास के लिए शायद हाथ में टैबलेट लिए बच्चों से भरी कक्षा और सोशल मीडिया पर सक्रिय अध्यापक की ही जरूरत हो। लेकिन नार्वे के एक स्कूल के लिए यह भविष्य की बात नहीं है बल्कि यह उसका वर्तमान है।
सोशल मीडिया पर क्लास
बीबीसी की खबर के मुताबिक ओस्लो के नजदीक स्थित सेंडविका हाई स्कूल की अध्यापिका एन माइकलसन को लंदन में आयोजित हो रहे शिक्षा क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े तकनीकी मेले में आमंत्रित किया गया है। वे तकनीकी समझ रखने वाले अन्य अध्यापकों से अपने अनुभव साझा करेंगी।
माइकलसन कहती हैं, 'सोशल मीडिया लोगों से जुड़ने का सबसे सहज तरीका है। हम हर रोज ऐसा करते हैं, कभी स्कूल में, कभी काम के बाद और कभी तो काम के दौरान ही।' वो बताती हैं कि ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर आपस में जुड़ने को बढ़ावा देता है लेकिन स्कूल शायद अंतिम जगह हैं जहां इस पर पाबंदी है।
माइकलसन अपनी क्लास में हर छात्र को ब्लॉग बनाना सिखाती हैं। छात्र अपने काम का प्रदर्शन अपने ब्लॉग पर ही करते हैं। बाकी छात्र उस पर टिप्पणी देते हैं और अध्यापक वहीं नंबर दे देते हैं।
वे कहती हैं कि मैं किताबों का इस्तेमाल नहीं करती क्योंकि इससे आप सीमित हो जाते हैं। मैं अपने ब्लॉग पर ही बच्चों को यह बताती हूं कि मैं क्या पढ़ाने वाली हूं।
भविष्य में बच्चों के विकास के लिए शायद हाथ में टैबलेट लिए बच्चों से भरी कक्षा और सोशल मीडिया पर सक्रिय अध्यापक की ही जरूरत हो। लेकिन नार्वे के एक स्कूल के लिए यह भविष्य की बात नहीं है बल्कि यह उसका वर्तमान है।
सोशल मीडिया पर क्लास
बीबीसी की खबर के मुताबिक ओस्लो के नजदीक स्थित सेंडविका हाई स्कूल की अध्यापिका एन माइकलसन को लंदन में आयोजित हो रहे शिक्षा क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े तकनीकी मेले में आमंत्रित किया गया है। वे तकनीकी समझ रखने वाले अन्य अध्यापकों से अपने अनुभव साझा करेंगी।
माइकलसन कहती हैं, 'सोशल मीडिया लोगों से जुड़ने का सबसे सहज तरीका है। हम हर रोज ऐसा करते हैं, कभी स्कूल में, कभी काम के बाद और कभी तो काम के दौरान ही।' वो बताती हैं कि ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर आपस में जुड़ने को बढ़ावा देता है लेकिन स्कूल शायद अंतिम जगह हैं जहां इस पर पाबंदी है।
माइकलसन अपनी क्लास में हर छात्र को ब्लॉग बनाना सिखाती हैं। छात्र अपने काम का प्रदर्शन अपने ब्लॉग पर ही करते हैं। बाकी छात्र उस पर टिप्पणी देते हैं और अध्यापक वहीं नंबर दे देते हैं।
वे कहती हैं कि मैं किताबों का इस्तेमाल नहीं करती क्योंकि इससे आप सीमित हो जाते हैं। मैं अपने ब्लॉग पर ही बच्चों को यह बताती हूं कि मैं क्या पढ़ाने वाली हूं।
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