अमेरिका में हुए इस अध्ययन की बात सुनें तो यह कहता है कि बच्चों को रात १० बजे से पहले सो जाना चाहिए और सुबह जल्दी जागना चाहिए। बहुत से बच्चे देर रात तक टीवी देखते रहते हैं या फिर पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं और अगले दिन जल्दी भी उठ जाते हैं। ऐसा करने से उनकी नींद पूरी नहीं होती है और अगले दिन वे पढ़ाई और दूसरे कामों को मन लगाकर नहीं कर पाते हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगने से बच्चे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं और फिर इससे बच्चों में डिप्रेशन आता है।
अध्ययन करने वाले कहते हैं कि बच्चों की नींद पूरी होना बहुत जरूरी है। किशोर अवस्था में ८ घंटे के करीब की नींद जरूरी होती है। वैसे अध्ययन करने वाले यह भी बताते हैं कि ८ घंटे की नींद पर्याप्त है और इससे ज्यादा सोना ठीक नहीं। अध्ययन करने वालों ने कुछ बच्चों से बातचीत के आधार पर उनके सोने का समय पता लगाया तो मालूम हुआ कि सप्ताह के बाकी दिनों में तो बच्चे ठीक समय पर सो जाते हैं पर वीकेंड में देर रात तक जागते हैं। इसके बाद शोधार्थियों का यही मानना था कि वीकेंड में भी बच्चों को जल्दी सोने की कोशिश करना चाहिए ताकि वे फ्रेश रहकर छुट्टी का ज्यादा आनंद ले सकें।
अध्ययनकर्ता मानते हैं कि जो बच्चे 11 बजे के आसपास सोते हैं उन्हें ज्यादा नींद की जरूरत होती है। इसी तरह देर रात को सोने वाले बच्चों को और भी ज्यादा नींद की जरूरत होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रात की नींद की पूर्ति दिन में सोने से नहीं हो पाती है क्योंकि लंबी नींद से शरीर को ज्यादा आराम मिलता है बजाय टुकड़ों में नींद लेने के।
नींद और उसका बच्चों और किशोरों पर प्रभाव का अध्ययन करने वाले इन शोधार्थियों का कहना है कि जिनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है वे अगले दिन के तनावों का ठीक तरह से सामना नहीं कर पाते हैं। इतना ही नहीं किसी भी काम को करते हुए वे एकाग्र भी नहीं ही पाते हैं। साथ ही अध्ययन में यह बात भी सामने आई है कि नींद की कमी से शरीर में हारमोन्स का स्त्रावण भी प्रभावित होता है जो बढ़ते बच्चों के विकास पर सीधा असर डालता है। इसलिए जल्दी सोओ, जल्दी जागो और स्वस्थ रहो।
No comments:
Post a Comment