Sunday, March 30, 2014

Funny Jokes

एक सिनेमा घर में कोई किशोर किशोरी लगभग आधा समय आपस में ही बातें करते रहे।

उनके पास बैठे दर्शकों को यह बहुत बुरा लग रहा था। जब एक दर्शक से रहा ना गया तो बोल उठा, "क्या तोते की तरह टांय-टांय लगा रखी है, कभी चुप ही नहीं होते।"

इस पर किशोर ने बिगड़कर कहा, "क्या आप हमारे बारे में कह रहे हैं?"

उत्तर मिला: जी नहीं, फ़िल्म वालों को कह रहा हूँ। शुरू से ही बकवास करे जा रहे हैं। आपकी बातों का एक भी शब्द सुनने नहीं दिया।'

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चूँकि मैं एक पुरुष हूँ, जब मैं अपनी कार की चाबी कार के अंदर भूल जाता हूँ तो मैं बजाये इसके कि सर्विस सेंटर वालों को बुलाऊँ मैं खुद ही कपडे सुखाने वाले हेंगर के तार से कार का दरवाज़ा खोलने की तब तक कोशिश करता रहूँगा जब तक कि दरवाज़े का ताला पूरी तरह से खराब नहीं हो जाता या मैं पूरी तरह से पस्त नहीं हो जाता।

चूँकि मैं एक पुरुष हूँ, अगर मेरी कार ठीक से स्टार्ट नहीं होती तो मैं उसका बोनट खोल कर उसके इंजन में तांक-झांक करता हूँ। इस बीच कहीं से कोई दूसरा पुरुष प्रकट होता है और वो भी इंजन में इधर-उधर हाथ लगा कर देखता है, फिर हममें से कोई एक बोलता है कि मैं इन चीज़ों को बड़े आराम से ठीक कर लेता था पर आज कल सारी चीज़ें कम्प्युटराइज़ आ रहीं हैं तो पता ही नहीं चलता कि कहाँ से शुरू करूँ और फिर आखिरकार हम मैकेनिक का इंतज़ार करते हैं।

चूँकि मैं एक पुरुष हूँ, अत: घर में अगर कोई उपकरण खराब हो जाता है तो मैं उसे तुरंत खोल कर ठीक करने बैठ जाता हूँ। जबकि मेरे पुराने अनुभवों में मेरे द्वारा खोले गए उपकरण कभी ठीक नहीं हुए बल्कि हमेशा मैकेनिक ने उसे ठीक करने के लिए दोगुणा पैसे वसूलें हैं क्योंकि छोटी सी खराबी को मैं बहुत बड़ा देता हूँ।

चूँकि मैं एक पुरुष हूँ, अत: टीवी देखते हुए रिमोट कंट्रोल हमेशा मेरे हाथ में ही होना चाहिए। हाँ, यह अलग बात है कि मुझे चैनल बदलने के लिए इज़ाज़त लेनी पड़ती है।

चूँकि मैं एक पुरुष हूँ, इसलिए मुझे किसी से रास्ता पूछने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मैं समझता हूँ कि मैं कभी रास्ता भूल ही नहीं सकता। चाहे इस चक्कर में मैं कितना भी खो जाऊं।

चूँकि मैं एक पुरुष हूँ और यह इक्कीसवीं सदी है अत: घेरलू कार्य में मैं तुम्हारा बराबर का हाथ बटाऊंगा। तुम कपडे धोना, खाना बनाना, घर की सफाई करना और घर के लिए शॉपिंग करना बाकी का सारा काम मैं अख़बार पढ़ते या टीवी देखते निपटाऊंगा!

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एक आदमी की मौत हो गयी और उसे अपने कर्मों की कारण नर्क की प्राप्ति हुई। उसने वहाँ जाकर देखा कि हर देश के लिए अलग-अलग नर्क है।

वह सबसे पहले अमरीकन नर्क में गया और पूछा कि,"यहाँ आत्माओं को किस तरह पीड़ा दी जाती है।"

उसे बताया गया कि पहले तो वो आपको बिजली की कुर्सी के साथ बांध देते हैं, फिर उसमे करंट छोड़ दिया जाता है, फिर कीलों के बिस्तर पर नंगा लिटा दिया जाता है और फिर अमरीकन जल्लाद आता है और दिन भर कोड़े मारता है।

आदमी यह सुनकर बहुत भयभीत हो गया और आगे बढ़ गया। आगे जाकर उसने अलग-अलग देशों के सभी नर्क देखे लेकिन सभी जगह लगभग एक ही तरह की सजा दी जाती थी।

घूमते-घूमते वो आदमी आखिर कर भारतीय नर्क पहुंचा। वहाँ उसने देखा कि आत्माओं की लम्बी कतारें लगी हुई थी। हैरान होकर उसने वहाँ भी सजा के बारे में पूछा कि यहाँ किस प्रकार की सजा दी जाती है जो इतनी लम्बी कतार बना कर सब यही खड़े हुए हैं?

उसे बताया गया कि, "यहाँ सबसे पहले आपको बिजली की कुर्सी के साथ बांध देते हैं फिर उसमे करंट छोड़ दिया जाता है, फिर आपको कीलों के बिस्तर पर नंगा लिटा दिया जाता है और फिर भारतीय जल्लाद आता है और दिन भर आपको कोड़े मारता है।"

आदमी परेशान होकर बोला कि, "ऐसी ही सजा तो बाकी सारे देशों के नर्क में भी मिलती है पर वहाँ तो इतनी भीड़ नहीं है पर यहाँ इतनी भीड़ क्यों है?"

तो किसी ने उसकी परेशानी दूर की और उसे इसका कारण बताया कि, "क्योंकि यहाँ भीड़ के कारण बदहाली है, मैन्टेन्स भी ठीक नहीं है, बिजली भी आती नहीं जिस कारण करंट वाली कुर्सी काम में नहीं आती, कीलों वाले बिस्तर से लोग कीलें चुरा कर ले गए हैं और कोड़े लगाने वाले जल्लाद भी कम हैं और वो भी आकर अपनी हाज़िरी लगा कर कैंटीन में चले जाते हैं, जिस कारण यहाँ लोग बस चक्कर ही काटते रहते हैं और घर जैसा महसूस करते हैं!"
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संता अपने बेटे पप्पू की वजह से बहुत परेशान था।

इसी का सलाह-मश्वरा करने वो अपने दोस्त बंता के पास पहुंचा।

संता: यार, मैं अपने बेटे पप्पू को लेकर बहुत चिंतित हूँ।

बंता: क्यों क्या हुआ? उसने फिर कोई बदमाशी कर दी क्या?

संता: नहीं यार, वो बात नहीं है।

बंता: तो फिर क्या बात है?

संता: बस आज-कल जब भी वो सुबह उठता है तो बहुत थका-थका और सुस्त महसूस करता है। समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों होता है?

बंता भी अपने आप को होशियार साबित करने की कोशिश में लग गया।

बंता: तुम उसे सोने से पहले दूध पिलाते हो क्या?

संता: हाँ, पिलाता हूँ।

बंता: बस यही कारण है उसकी इस हालत का।

संता: मैं कुछ समझा नहीं। दूध के कारण ऐसा कैसे हो सकता है?

बंता: जब तुम उसे रात को दूध पिलाते हो तो रात को सोते वक़्त जब वो करवटें बदलता है तो दूध हिल-हिल कर दहीं बन जाता है, फिर दहीं से मक्खन निकल आता है, मक्खन फैट में बदल जाता है और उस फैट से चीनी बन जाती है और फिर चीनी की शराब। जिससे नतीजा यह होता है कि जब वो सुबह सोकर उठता है तो वो शराब के नशे में होता है। जिस कारण वो थका-थका और सुस्त महसूस करता है।

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