Wednesday, February 12, 2014

सलाह बीरबल की

एक दिन अपने घर के बाहर बैठा बीरबल पान चबा रहा था। तभी उसने देखा कि बादशाह का एक नौकर तेजी से कहीं दौड़ा जा रहा है। बीरबल ने पुकार लगाई, ‘‘अरे भाई ! कहां जा रहे हो तुम ? इतनी जल्दी में क्यों हो ?’’
नौकर ने उत्तर दिया, ‘‘बादशाह ने मुझे दो ढेरी चूना लाने को कहा है।
यह सुनकर बीरबल को कुछ संदेह हुआ। उसने पूछा, ‘‘बादशाह सलामत उस समय क्या कर रहे थे जब उन्होंने तुमसे कहा कि चूना लेकर आओ ?

‘‘दिन में बादशाह जब खाना खा चुके थे तो मैंने उन्हें पान पेश किया। उन्होंने पान मुंह में रखा ही था कि मुझे हुक्म दिया कि चूना लेकर आऊं।’’
बीरबल कुछ देर सोचता रहा, फिर बोला, ‘‘तुम बिल्कुल मूर्ख हो। तुमने पान में चूना ज्यादा लगा दिया होगा, जिससे बादशाह के मुंह का जायका बिगड़ गया होगा। अब तुम्हें सजा देने का यह तरीका चुना है उन्होंने। अभी जो चूना लेने तुम जा रहे हो, कुछ देर बाद वही चूना तुमसे खाने को कहा जाएगा। जब इतना अधिक चूना तुम्हारे पेट में पहुंचेगा तो तुम जिंदा कहां बचोगे।’’

सुनकर वह नौकर भय से थरथर कांपने लगा। बोला, ‘‘या खुदा ! अब मैं क्या करूं ?’’
बीरबल बोला, ‘‘देखो, होश मत खोओ। जैसा मैं कहता हूं, वैसा ही करो। सुनो, मक्खन के साथ चूने का असर लगभग खत्म हो जाता है। बराबर मात्रा में चूने के साथ मक्खन मिला लेना। यानी जितना चूना उतना मक्खन। इसे जब तुम खाओगे तो तुम पर चूने का जरा भी असर न होगा। ऐसा ही मक्खन मिला चूना लेकर तुम्हें बादशाह के पास जाना है। समझ गए न।’’
फिर उस नौकर ने वैसा ही किया जैसा बीरबल ने कहा था। बीरबल का यह सोचना भी बिल्कुल ठीक निकला कि बादशाह उसे चूना खाने का हुक्म देंगे। बादशाह ने उस नौकर से कहा कि यह सारा चूना उसे खाना है। और थोड़ी ही देर बाद सारा चूना उस नौकर के पेट में था। चूना खाकर वह अपने घर चला गया।
अगले दिन जब वह नौकर नियत समय अपने काम पर पहुंचा तो अकबर को लगा कि दुनिया के सात अजूबों में से एक उनके सामने खड़ा है। उस नौकर को देख वह हैरान तो थे ही, साथ ही उन्हें गुस्सा भी आ रहा था कि इतना चूना खाने के बाद भी यह जिंदा कैसे बच गया। तब पसोपेश में पड़े बादशाह ने एक चूना व्यापारी को बुलवा भेजा और उससे बोले, ‘‘कल मैं एक आदमी को तुम्हारे सुपुर्द करूंगा, तुम उसे चूने की भट्ठी में झोंक देना।’’
चूना व्यापारी ने हामी भरी और वहां से चला गया।

तब बादशाह उस नौकर से बोले, ‘‘देखो, तुम कल इस चूना व्यापारी के पास जाना और मेरे लिए पांच ढेरी चूना लेकर आना।’’
अगले दिन, बादशाह के लिए चूना लाने व्यापारी के पास जाने से पहले वह नौकर बीरबल के पास गया और सारी घटना से उसको अवगत कराया।
बीरबल ने उसकी बात ध्यान से सुनी, फिर बोला, ‘‘तुम अभी चूना लेने न जाओ।’’
दरअसल, जब बादशाह व चूना व्यापारी के बीच बातचीत हो रही थी तो बीरबल भी वहां मौजूद था। वह भलीभांति समझ गया कि बादशाह कि क्या मंशा है।

बीरबल ने यह भी देख लिया था कि एक अन्य नौकर ने भी यह सारी बातचीत सुन ली है।
वह नौकर पहले नौकर के प्रति शत्रुता का भाव रखता था। बीरबल जानता था कि यह कुटिल नौकर निश्चित समय पर सारा तमाशा देखने जरूर पहुंचेगा।
यही कारण था कि बीरबल ने पहले नौकर को तुरंत वहां जाने से रोक दिया था।

जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। दूसरा कुटिल नौकर ठीक उस समय पर चूना व्यापारी के पास पहुंच गया। जब पहले नौकर को वहां आना था। उस नौकर को देख चूना व्यापारी ने समझा कि यही वह नौकर है, जिसे चूने की भट्ठी में फेंक देने का उसे हुक्म दिया है बादशाह ने। चूना व्यापारी ने उस कुटिल नौकर को गुद्दी से पकड़ा और घसीटकर ले जाते हुए चूने की भट्ठी में फेंक दिया।

थोड़ी ही देर बाद पहला नौकर वहां पहुंचकर बोला कि पांच ढेरी चूना चाहिए।
बादशाह का आदेश मान चूना व्यापारी ने उस नौकर को चूना दे दिया।
चूना लेकर वह नौकर दरबार में वापस आया। उसे सही-सलामत लौटा देख बादशाह की हैरानी सभी सीमाएं तोड़ गई, वे बोले, ‘‘क्या तुम रास्ते में किसी से मिले थे ?’’
‘‘नहीं हुजूर !’’ वह नौकर बोला, ‘‘लेकिन जब मैं जा रहा था तो बीरबल ने मुझे बुलाया था और मैं उसके घर भी गया था।’’
बादशाह समझ गए कि यह माजरा क्या है। उन्होंने नौकर से चूना एक ओर रख देने को कहा और लगे मुस्कराने।

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