Monday, November 18, 2013

मजेदार कहानी : अम्मू भाई का छक्का




'दादाजी मैं छक्का मारूंगा' अम्मू भाई ने क्रिकेट बेट लहराते हुए मुझसे कहा। वह एक हाथ में बॉल लिए था, बोला प्लीज बॉलिंग करो न दादाजी।'

'अरे! अरे! इस कमरे में छक्का, नहीं नहीं... यहां थोड़े ही छक्का मारा जाता है कमरे में कहीं क्रिकेट खेलते हैं क्या? 'यहां टीवी रखा है, फ्रिज है, कूलर रखा है, छक्के से यह समान टूट जाएगा।' मैंने उसे समझाते हुए कहा।


तो फिर पोर्च में खेलें? 'वहां भी तो छक्का मार सकते हैं न?'
' वहां भी नहीं'
' क्यों दादाजी वहां तो टीवी नहीं रखा।' उसने बड़ी उत्सुकता से मेरी ओर देखा।

' वहां पर कार रखी है, तुम्हारे पापा की बाइक रखी है और मेरी टीवीएस रखी है, गाड़ियां खराब हो जाएंगी और‌ उनके दर्पण टूट जाएंगे।' मैंने उसे समझाने की कोशिश की।

'यह दर्पण…… क्या है दादाजी?' उसने ऐसे पूछा जैसे मैंने किसी जंगली खूंखार जानवर का नाम ले दिया हो।
अरे भाई मिरर हैं न, कार में भी लगे हैं और बाइक में भी।' मैंने कहा।

अरे भाई मिरर हैं न, कार में भी लगे हैं और बाइक में भी।' मैंने कहा।

'तो ऐसा बोलो न, आप तो क्या, दर्पण, वर्पण, जाने किस भाषा में बात करते हैं। क्या आपको हिंदी नहीं आती?'

मैं उसकी बातों का रस ले रहा था। 'बेटा मेरी हिंदी जरा ठीक नहीं है न।'

'ठीक है तो मैं ग्राउंड‌ में जाकर खेलता हूं, वहीं चौके और छक्के मारूंगा।' वह बाहर भागने लगा।
'बेटे ग्राउंड तो बड़े बच्चे खेलते हैं, तुम अभी बहुत छोटे हो।' मैंने उसे पकड़ा और घर के भीतर ले आया। वह उदास होकर वहीं बैठ गया।

उसके बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया। थोड़ी ही देर में जैसे ही बाहर आया तो मैंने देखा कि अम्मू टीवी के सामने टूटा हुआ फ्लॉवर पॉट लेकर सहमा-सा बैठा है और एक हाथ से टूटे हुए टुकड़े बटोरने का प्रयास कर रहा है। मुझे देखते ही बोला 'दादाजी यह …देखो….।'

ये क्या?' मैं समझा शायद उसने कमरे में ही धोनी बनने का प्रयास कर लिया है और टीवी का राम नाम सत्य कर दिया है। किंतु टीवी तो सलामत थी, तो मैंने चैन की सांस ली।' क्या हुआ? क्या तोड़ा?'
मैंने थोड़ा जोर से पूछा तो वह सिसकने लगा और हाथ में पकड़े टूटे फ्लॉवर पॉट की ओर इशारा करने लगा।
मेरी नजर सामने टीवी के ऊपर की खाली जगह पड़ी तो समझ गया की भाई साहब ने फ्लॉवर पॉट को श्मशान भेजने की तैयारी कर दी है।

'क्या आपने यहां छक्का मार दिया?' मैने जरा जोर से पू‍छा तो वह सिसकने लगा।
'पर दादाजी बाल‌ टीवी में नहीं लगी है, फ्लॉवर पॉट ही टूटा है।' कहकर उस पॉट को टेप लगाकर जोड़ने का प्रयास करने लगा। उसके हाथ में कैंची और टेप का रोल था। मैंने उसे धीरे से डांटा।'

मैंने कहा था न कि यहां क्रिकेट मत खेलो पर आप नहीं माने। पॉट टूट गया न।'
'दादाजी मम्मी को मत बताना और दादीजी को भी नहीं बोलना।' वह धीरे से बोला।
'क्यों नहीं बोलना, जब आपने मेरा कहना नहीं माना तो मैं क्यों…?'
'प्लीज दादाजी मुझे डांट पड़ेगी न।' मेरी बात पूर्ण होने से पहले ही वह बोल पड़ा।

'ठीक है नहीं बोलूंगा पर प्रॉमिस करो की आगे से कमरों के भीतर क्रिकेट नहीं खेलोगे' मैंने समझाइश भरे स्वर में कहा।
'प्रॉमिस दादाजी, मदर प्रॉमिस, अब कभी कमरे में छक्का नहीं मारूंगा।' बड़े आत्मविश्वास सॆ वह बोला।
शाम को जब लोगों ने फ्लॉवर पॉट टूटा देखा तो प्रश्नों की झड़ी लग गई किसने तोड़ा कैसे टूटा?
मैंने सबको फ्लॉवर पॉट टूटने की सच कहानी सबको बतला दी और यह भी हिदायत दे दी कि अम्मू को कोई न डांटे और न ही उसे यह बताएं कि सबको मालूम पड़ गया है कि बॉल लगने से पॉट टूटा।

दादी ने हंसकर पूछा- 'अमित पॉट कैसे टूटा।'
तो वह हंसकर बोला दादी टीवी थोड़ा-सा हिल गया था इससे उस पर रखा पॉट गिर गया और टूट गया। उसने सबको यही जबाब दिया मतलब सबसे वह झूठ बोले जा रहा था। जब उसको किसी ने नहीं डांटा तो उसका डर जाता रहा और वह सामान्य होकर खेलने लगा।

दूसरे दिन जब वापिस आकर मैंने उसे बताया कि छक्का लगने से पॉट टूटा है वाली बात मैंने सबको बता दी है, तो वह आश्चर्य से देखने लगा' मुझे तो किसी ने नहीं डांटा, पर आपने सबको क्यों बताया?'

'इसलिए बताया कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। कहते हैं कि झूठ बोलना पाप होता है।'
'पर आपने तो प्रॉमिस किया था कि किसी को नहीं बताएंगे।' वह हंस कर‌ बोला।

'उस समय आप डरे हुए थे, इससे प्रॉमिस कर लिया था। हमेशा सच बोलना चाहिए यदि गलती हो जाए तो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए और आगे से गलती न हो ऐसा प्रण करना चाहिए।'

'ठीक दादाजी आगे से कभी झूठ नहीं बोलूंगा, बड़ों का कहना मानूंगा और कमरे में छक्का भी नहीं मारूंगा बस।' इतना कहकर वह छक्का मारने बाहर‌ मैदान में चला गया

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